चीन की सेना और फार्मासूटिकल कंपनी CanSino Biologics की विकसित की हुई कोरोना वायरस कैंडिडेट को चीन के एक्सपर्ट्स बाकी देशों की वैक्सीन कैंडिडेट से बेहतर मान रहे हैं। अभी तक अमेरिका की Moderna Inc और ब्रिटेन की Oxford University की वैक्सीन इंसानों के पहले चरण में सफल रही हैं और चीन की वैक्सीन दूसरे चरण में असरदार पाई गई है। ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का उत्पादन भारत का सीरम इंस्टिट्यूट भी करेगा जिससे वैक्सीन के सफल होने के बाद जल्द ही यह भारत में मिल सकती है।
‘इसलिए दूसरे देशों से आगे’
ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में शंघाई के वैक्सीन एक्सपर्ट ताओ लीना का कहना है कि CanSino की वैक्सीन के एक इंजेक्शन में कम डोज देने पर ही इम्यूनिटी रिस्पॉन्स देखा गया। वहीं, दूसरी ओर विकसित की जा रहीं दूसरी वैक्सीन, जैसे अमेरिका की mRNA वैक्सीन और ऑक्सफर्ड यूनिर्सिटी की वैक्सीन में दो बार इंजेक्शन देने पर इम्यूनिटी रिस्पॉन्स आ सका। दो बार इन्जेक्शन देने के बीच में भी तीन-चार हफ्तों का अंतराल रखना जरूरी था। इसका यह मतलब है कि चीन की वैक्सीन उत्पादन क्षमता बाकी दोनों से दो गुना हो सकती है जिससे वायरस को फैलने से बेहतर तरीके से रोका जा सकता है।
सेना के साथ मिलकर बनाई वैक्सीन
इंसानों पर दूसरे चरण के ट्रायल में CanSino की Ad5-nCOV वैक्सीन सुरक्षित और असरदार पाई गई है। इसे दिए जाने पर वॉलंटिअर्स में इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया। ये नतीजे सोमवार को मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित हुए हैं। ये वैक्सीन अडेनोवायरस टाइप 5 (adenovirus type-5, Ad5) वायरल वेक्टर से बनी है। CanSino Biologics चीन की मिलिट्री की रिसर्च यूनिट के साथ मिलकर इसे बना रही है। इस वैक्सीन का ट्रायल चीन के वुहान में किया गया था।
अमेरिका और ब्रिटेन की वैक्सीनें ‘पास’
उधर, Lancet में ही छपे दूसरे रिसर्च पेपर में बताया गया है कि वायरल वेक्टर से बनी ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और AstraZeneca की कोरोना वायरस वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 दिए जाने पर वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडी और T-cells और ऐंटीबॉडी पाई गईं। इससे पहले अमेरिका की Moderna Inc की वैक्सीन mRNA1273 भी पहले ट्रायल के नतीजों में सफल पाई गई है जिसमें ऐंटीबॉडी बनती पाई गईं।