जिनपिंग की आलोचना, चीन में प्रोफेसर बर्खास्त

पेइचिंग
की कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति करने वाले एक प्रोफेसर को बर्खास्त कर दिया है। तिंगुआ विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर शु झांगरून शुरू से ही राष्ट्रपति के असीम कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त करने वाले संविधान संशोधन सहित सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के कटु आलोचक रहे हैं।

शनिवार को प्रोफेसर को पद से हटाया गया
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, तिंगुआ विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर शु झांगरून को पद से हटाने की शनिवार को औपचारिक अधिसूचना जारी की गई। इस विश्वविद्यालय में वह 20 साल से सेवारत थे। विश्वविद्यालय ने कहा कि 10 जुलाई को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। उल्लेखनीय है कि फरवरी और मई में प्रोफेसर शु ने दो लंबे आलेख प्रकाशित किए थे, जिनमें कोरोना वायरस संकट से सही तरीके से नहीं निपटने को लेकर सीपीसी नेतृत्व की कटु आलोचना की गई थी।

ऑनलाइन आलेखों के जरिए प्रोफेसर ने की आलोचना
व्यंग्य और आधुनिक एवं शास्त्रीय चीनी भाषा का उपयोग करते हुए शु ने लिखा था कि किस तरह से देश अलग-थलग पड़ गया है। वह चीन में अकादमिक क्षेत्र के उन कुछ गिने-चुने विद्वानों में एक हैं जिन्होंने चीन में और विदेशों में कई सारे ऑनलाइन आलेखों के जरिए सीपीसी नेतृत्व की आलोचना की है।

विश्वविद्यालय ने जारी की अधिसूचना
विश्वविद्यालय की अधिसूचना में कहा गया है, हम यह सत्यापित करते हैं कि प्रोफेसर शु ने जुलाई 2018 से कई आलेख प्रकाशित किए हैं और यह नए युग में संस्थानों में अध्यापकों के लिए पेशेवर आचरण के 10 मानदंडों का गंभीर उल्लंघन है। ये दिशा-निर्देश शिक्षा मंत्रालय ने 2018 में जारी किए थे जिनमें कहा गया है कि यदि अध्यापक सीपीसी के प्राधिकार को कमतर करने के लिए कुछ करते हैं या पार्टी के निर्देशों या नीतियों का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें बर्खास्त या दंडित किया जा सकता है।

कुछ दिन पहले ही पुलिस ने किया था गिरफ्तार
इस महीने की शुरूआत में प्रोफेसर शु को चेंगदु पुलिस उनके घर से उठा ले गई थी। बाद में उनकी पत्नी को बताया गया कि उन्होंने शिचुआन प्रांत की राजधानी की यात्रा के दौरान धन के बदले यौन संबंध की पेशकश की थी। हालांकि, शु के मित्रों ने इसे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला आरोप करार देते हुए खारिज कर दिया था। शु को रविवार को रिहा किया गया और वह छह दिन हिरासत में रहने के बाद घर लौटे।

2018 से चीन की आलोचना कर रहे थे प्रोफेसर
जुलाई 2018 में शु ने सीपीसी नेतृत्व की अपनी पहली आलोचना प्रकाशित की थी। इसमें से एक में उन्होंने कुछ सार्वजनिक बयान शामिल किए थे जिनमें राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमाएं हटाने का विरोध किया गया था। दरअसल, कार्यकाल की ये सीमाएं हटाए जाने से शी चिनफिंग 2023 के बाद भी पद पर काबिज रह सकते हैं। शी सीपीसी और चीनी सेना के प्रमुख हैं तथा अभी राष्ट्रपति पद पर उनका दूसरा कार्यकाल है।

आजीवन चीन के राष्ट्रपति रह सकते हैं जिनपिंग
माओत्से तुंग को छोड़कर शी से पहले के सभी अधिकारियों ने पांच साल के दो कार्यकाल के नियम का अनुपालन किया । चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने 2018 में पांच साल के कार्यकाल का नियम खत्म कर दिया और इसके जरिए शी के आजीवन कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त कर दिया गया।

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