विकास दुबे वाले 5 लाख रुपये किसे मिलेंगे?

भोपाल/उज्जैन
कानपुर एनकाउंटर में मारे गाए विकास दुबे की गिरफ्तारी पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। विकास दुबे की गिरफ्तारी उज्जैन से हुई है। उसकी गिरफ्तारी के बाद कई व्यक्ति सामने आए थे, जिनकी निशानदेही पर विकास दुबे पकड़ा गया था। ऐसे में यूपी पुलिस के सामने असमंजस की स्थिति है कि आखिरी इनाम की राशि किसे दिया जाए। इसे लेकर यूपी पुलिस ने एमपी पुलिस को एक चिट्ठी लिखी है।

दरअसल, गिरफ्तारी के बाद उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहा था कि विकास दुबे की पहचान सबसे पहले एक फूल दुकानदार ने की थी। उसके बाद उसने पुलिस अधिकारियों को सूचना दी थी। वहीं, प्राइवेट सिक्योरिटी के लोग अलग उसकी गिरफ्तारी का दावा कर रहे थे। ऐसे में उज्जैन पुलिस के लिए भी यह तय करना मुश्किल है, इनाम किसे दिया जाए।

उज्जैन पुलिस को मिली है चिट्ठी
वहीं, यूपी पुलिस भी यह जानना चाहती है कि इनाम की राशि किसे दी जाए। उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि कानपुर एसएसपी का हमें पत्र मिला है। उस पत्र में उन्होंने विकास दुबे पर घोषित इनाम का जिक्र किया है, साथ ही वह जानना चाहते हैं कि इनाम की राशि किसे दिया जाए। साथ ही विकास दुबे को हिरासत में लेने में किस पुलिसकर्मी की भूमिका थी।

कमिटी तय करेगी किसे मिले इनाम
वहीं, 5 लाख रुपये की इनाम राशि किसे मिले इस लेकर एक कमिटी गठित की गई है। कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय होगा कि इनाम किसे दिया जाए। इस कमिटी में एएसपी रैंक के 3 अधिकारियों को शामिल किया गया है। कमिटी 3 के अंदर ही रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें विकास दुबे को पहली बार किसने देखा, उसे पकड़ा किस ने और यूपी एसटीएफ को सौंपे जाने तक का पूरा ब्यौरा होगा।

एसपी ने कहा कि इस टीम में एएसपी रूपेश द्विवेदी, अमरेंद्र सिंह और आकाश भूरिया को शामिल किया गया है। यह कमिटी अपनी रिपोर्ट में सभी लोगों की भूमिका के बारे में व्याख्या करेगी। उसके बाद पूरी जानकारी यूपी पुलिस को सौंप दी जाएगी।

कैसे हुआ था गिरफ्तार
गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी 9 जुलाई को सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर से हुई थी। गिरफ्तारी के बाद एसपी मनोज सिंह ने कहा था कि वह राजस्थान के झालावाड़ से सुबह से 3.58 बजे उज्जैन के देवासगेट बस स्टैंड पर पहुंचा था। वहां से ऑटो में बैठ कर रामघाट पर शिप्रा नदी में स्नान के लिए गया था। उसके बाद वह 7.45 बजे महाकाल मंदिर में पहुंचा था। यहां उसे पहली बार फूल की दुकान चलाने वाले ने देखा था। फिर मंदिर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे गिरफ्तार किया था।

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