मंसूबे पर पानी, सचिन को चुकानी होगी कीमत?

नई दिल्ली
राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर संकट फिलहाल टलता भले ही दिख रहा हो, लेकिन सचिन पायलट की बगावत बड़ी मुश्किल के तौर पर अब भी मुंह बाए खड़ी है। कांग्रेस आलाकमान भी इस चुनौती को समझता है, इसलिए फौरी राजनीति की जगह दूरगामी रणनीति के तहत पायलट को मनाने में जुट गई है। पार्टी नेतृत्व ने पायलट को संदेश भेजा है कि वो कांग्रेस न छोड़ें। सूत्र बताते हैं कि पार्टी आलाकमान की तरफ से पायलट को मेसेज दिया गया है कि वापसी के बाद उनके सम्मान में उनका अतीत बाधक नहीं बनेगा। मतलब, साफ है कि कांग्रेस पायलट के बगावत को भूलकर उन्हें ससम्मान पार्टी में वापसी की जीतोड़ कोशिश में है।

आलाकमान का ऑफर और गहलोत कुनबे का डर
लेकिन, क्या यह सच है और क्या सिर्फ यही सच है? आलाकमान के ऑफर पर सचिन शायद इन्हीं सवालों पर मंथन कर रहे होंगे। इन सवालों के उचित जवाब से ही उनकी आगे की दिशा तय होगी। अगर उन्हें लगा कि पार्टी आलाकमान भले कुछ कहे, लेकिन गहलोत अपने कुनबे साथ उन्हें और उनके समर्थक विधायकों को कभी माफ नहीं कर पाएंगे और मौका देखते ही वो हर तिकड़म करेंगे जिनसे उन्हें अपमानित और प्रताड़ित महसूस हो तो पायलट वापसी के कदम बढ़ा नहीं पाएंगे। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि पायलट ने भी आलाकमान को जवाबी संदेश भेजा है जिसमें उन्होंने अपनी कुछ शर्तें रखी हैं।

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क्या अंदरखाने चल रही है सौदबाजी?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पायलट अपने खेमे के चार विधायकों को मंत्री बनाना चाहते हैं और वित्त एवं गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग देने की मांग रख रहे हैं। साथ ही, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की अपनी कुर्सी भी सुरक्षित रहे। मांगें तो कई और भी होंगी, लेकिन तोल-मोल की राजनीति में सौदा कहां तक संभव हो पाएगा, यह एक-दूसरे की ताकत और कमजोरी के आकलन और विश्लेषण पर निर्भर करता है। राजस्थान में पायलट की सियासी पैठ ही उन्हें मलाई दिलाने का पैमाना बनेगी।

सब फेल हुए तो खुद प्रियंका ने संभाला मोर्चा
बहरहाल, कांग्रेस पार्टी के सूत्र बताते हैं कि आलाकमान राज्यसभा सांसद राजीव साटव को जयपुर भेज रही है। वहीं, खुद प्रियंका गांधी पायलट के सियासी जहाज का रुख वापस कांग्रेस की तरफ मोड़ने की कवायद में जुटी हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, राहुल गांधी के करीबी रणदीप सिंह सुरजेवाला के अलावा अजय माकन और केसी वेणुगोपाल जब पायलट से संपर्क साधने में फेल हुए तो प्रियंका ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने पायलट से बातचीत के मंच पर आकर सारी समस्याओं के निदान का ऑफर दिया है।

पायलट के लिए आसान नहीं वापसी का फैसला
स्वाभाविक है कि सचिन पायलट अपने सारे पत्ते उलट-पलटकर देखने के बाद ही आखिरी फैसला लेंगे। कोई दो राय नहीं कि पायलट के लिए कांग्रेस में बने रहने का फैसला करना बहुत आसान नहीं होने वाला। उन्हें कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पास उन प्रस्तावों को भी ध्यान में रखना होगा जिनमें विधायकों ने सर्वसम्मति से एक तरफ अशोक गहलोत सरकार के प्रति अटल निष्ठा व्यक्त की तो दूसरी तरफ उन विधायकों एवं पार्टी पदाधिकारियों को भी दंडित करने की मांग की जिन्होंने प्रदेश सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची है।

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