देसी कोरोना वैक्सीन पर यह है लेटेस्ट अपडेट

नई दिल्‍ली
कोरोना वायरस की देसी वैक्‍सीन Covaxin का क्लिनिकल ट्रायल इस हफ्ते शुरू हो जाएगा। ICMR के NIV और भारत बायोटेक ने मिलकर जो वैक्‍सीन तैयार की है, उसका ट्रायल 12 इंस्‍टीट्यूट्स में होगा। इस वैक्‍सीन का कोडनेम BBV152 है। ICMR ने उन्‍हीं इंस्‍टीट्यूट्स को चुना है जहां पर क्लिनिकल फार्माकॉलजी विंग है और ह्यूमन ट्रायल में एक्‍सपीरिएंस वाले हेल्‍थकेयर प्रोफेशनल्‍स हैं। एम्‍स पटना में 10 जुलाई से वैक्‍सीन का ट्रायल शुरू होगा। वहीं, हैदराबाद के निजाम इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) में मंगलवार को ट्रायल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। क्लिनिकल ट्रायल्‍स रजिस्‍ट्री के सोमवार के अपडेट के अनुसार, वैक्‍सीन का पहला एनरोलमेंट 12 जुलाई को होगा।

फिलहाल जांचे जा रहे हैं वैक्‍सीन के सैंपलएक तरफ जहां 12 इंस्‍टीट्यूट्स ट्रायल के लिए पार्टिसिपेंट्स को एनरोल करना शुरू कर चुके हैं। वहीं, दूसरी तरफ वैक्‍सीन के सैंपल्‍स को चेज कर किया जा रहा है। एक सरकारी सेंटर पर उन्‍हें क्‍वालिटी और सेफ्टी टेस्‍ट से गुजारा जा रहा है। पिछले शुक्रवार से शुरू हुए ये टेस्‍ट अगले हफ्ते तक पूरा होने की उम्‍मीद हैं। इसमें जल्‍दबाजी नहीं की जा सकती क्‍योंकि इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैक्‍सीन इंसानों पर इस्‍तेमाल के लिए सुरक्षित है। इंस्‍टीट्यूट्स तक वैक्‍सीन का स्‍टॉक पहुंचने के बाद ही टेस्टिंग शुरू हो सकती है। इसके लिए भारत बायोटेक को कसौली में सेंट्रल ड्रग्‍स लैबोरेटरी से क्लियरेंस चाहिए होगा।

कैसे होगा वैक्‍सीन का ट्रायल?NIMS डायरेक्‍टर डॉ के. मनोहर ने PTI से बातचीत में कहा‍ कि वे कुछ स्‍वस्‍थ लोगों को चुनेंगे और उनके खून का सैंपल लिया जाएगा। ये सैंपल नई दिल्‍ली की लैब में भेजे जाएंगे। वहां से ग्रीन सिग्‍नल मिलने पर उन लोगों की जांचके बाद वैक्‍सीन का पहला शॉट उन्‍हें दिया जाएगा। डॉ मनोहर ने कहा कि सारी डिटेल्‍स ICMR को भेजी जाएंगी। वहीं पर डेटा को एनलाइज किया जा रहा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि ह्यूमन ट्रायल के लिए कम से कम 30 लोगों की जरूरत पड़ेगी।

एम्‍स पटना में 100 लोगों पर होगा ट्रायलएम्‍स पटना में डॉक्‍टर्स की टीम बना दी गई है। यहां के सुप्रिटेंडेंट डॉ सीएम सिंह ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि वैक्‍सीन का जानवरों पर प्री-क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा है। उसके नतीजे भी उत्‍साहवर्धक रहे थे। उन्‍होंने कहा कि शुरू में 100 स्‍वस्‍थ लोगों पर ट्रायल किया जाएगा जिनकी उम्र 22 से 50 साल के बीच होगी। दूसरे फेज में लोगों की संख्‍या बढ़ाई जा सकती है। डॉ सिंह ने कहा कि ‘क्लिनिकल ट्रायल में 6 से 8 महीने का वक्‍त लग सकता है।’

ट्रायल में कितना वक्‍त लगेगा?क्लिनिकल ट्रायल्‍स रजिस्‍ट्री पर मौजूद प्रोटोकॉल के अनुसार, पहले फेज में कम से कम एक महीना लगेगा। उससे मिले डेटा को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के सामने पेश करना होगा फिर अगली स्‍टेज की परमिशन मिलेगी। फेज 1 और 2 में कुल मिलाकर एक साल और तीन महीने का वक्‍त लग सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *