डॉक्टर की डिग्री और पंजीयन नंबर को बताया व्यक्तिगत जानकारीः स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआई में नहीं दी जानकारी


दुर्ग (सीजी आजतक न्यूज)। स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर की डिग्री और पंजीयन नंबर को व्यक्तिगत मामला बताकर जानकारी नहीं दी, जबकि यह दोनों बातें व्यक्तिगत नहीं बल्कि सार्वजनिक जानकारी है। सभी डॉक्टरों के क्लीनिक बोर्ड पर डिग्री और पंजीयन नंबर लिखा जाना अनिवार्य है। डॉक्टर ऐसा करते भी है किंतु स्वास्थ्य विभाग ने एक डॉक्टर की डिग्री और पंजीयन नंबर नहीं दिया, जिससे उसकी डिग्री पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

अधिकृत साइट पर भी जानकारी अपलोड नही

छत्तीसगढ़ शासन की अधिकृत साइट https://www.cgmedicalcouncil.org/search-doctor-advance.php पर डॉ अनिल शुक्ला के संबंध में कोई जानकारी अपलोड नहीं है जिससे उसकी डिग्री के फर्जी होने को बल मिल रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि डिग्री सही तो साइट पर जानकारी अपडेट क्यों नही है? जरूर दाल में कुछ काला है इसलिए जानकारी अपडेट नहीं है।

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यह है मामला

एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने “नर्सिंग होम एक्ट नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला की एमबीबीएस की डिग्री/पंजीयन नंबर और फॉरेन मेडिकल एक्जामिनेशन (FMGE) कब क्लीयर किया है” इसकी जानकारी 13 मार्च 2024 को मांगी थी। निर्धारित तिथि एक माह के भीतर जानकारी नहीं मिलने पर आवेदक ने 17 अप्रैल  2024 को स्मरण पत्र दिया, तब जिला अस्पताल के जनसूचना अधिकारी ने प्रश्न को व्यक्तिगत बताते हुए कोई जानकारी नहीं दी। (यहां बता दें कि डॉक्टर की डिग्री और पंजीयन कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है।) फिर आवेदक ने 6 जून 2024 को प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष आवेदन लगाया। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी डॉ अनिल शुक्ला के संबंध में चाही गई जानकारी नहीं दी। इससे यह साबित होता है कि उनकी डिग्री में जरूर कोई गड़बड़ी है।

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लाखों की वसूली

जब से डॉ अनिल शुक्ला नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी बने है तब से पूरे जिले में कार्रवाई जारी है। सीजी आजतक न्यूज के पास उनके द्वारा की गई अवैध वसूली और पैसे नहीं देने वाले नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ कार्रवाई की पूरी सूची उपलब्ध है। अवैध वसूली की एक बानगी यह है कि सुपेला के एक डॉक्टर से दो लाख, भिलाई-3 की महिला डॉक्टर से 50 हजार रुपए, पाटन ग्रामीण क्षेत्र के एक डॉक्टर से डेढ़ लाख रुपए की वसूली की गई। इसी तरह दुर्ग शहर के एक नर्सिंग होम संचालक से 5 लाख रुपए की अवैध डिमांड की गई, नहीं देने पर नर्सिंग होम में सीलबंद की कार्रवाई कर दी गई। वह नर्सिंग होम लगभग 6 माह से बंद है। कई पीड़ित नर्सिंग होम संचालक अवैध वसूली के शपथ पत्र, बतौर सबूत ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ हाईकोर्ट की शरण में जाने वाले हैं। वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा भी विभागीय सचिव सहित सभी सक्षम एंजेसियों में शिकायत की गई है। अब देखना यह है कि स्वाथ्य विभाग के भ्रष्ट डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई होती है या हर बार की तरह इस मामले में लीपापोती कर दी जाती है।

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