भिलाई(CGAAJTAK). नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा एक विचित्र कारनामा का मामला सामने आया है। निगम प्रशासन एक बुढिय़ा को लिपिस्टिक लगाकर व श्रृंगार कर जवानी लौटाने का प्रयास कर रहा है। अब बुढिय़ा को कितने भी श्रृंगार कर लो वो जवान तो नहीं होगी? ताजा मामला प्रगति काम्प्लेक्स पावर हाउस का है। निगम प्रशासन साडा के कार्यकाल में निर्मित दशकों पुरानी बिल्डिंग का संधारण (रिनोवेशन) में लाखों रुपए खर्च कर रहा है। जानकारों की मानें तो इतनी राशि में नई बिल्डिंग तैयार हो जाती। अब निगम प्रशासन को कौन समझाए कि बुढिय़ा को श्रृंगार करने से उसकी जवानी नहीं लौट आएगी।
पुराने एवं जर्जर भवन प्रगित कॉम्प्लेक्स का संधारण
बता दें कि नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा पावर हाउस बस स्टैंड के सामने स्थित पुराने एवं जर्जर भवन प्रगित कॉम्प्लेक्स का संधारण किया जा रहा है। संधारण में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। जानकार लोगों की मानें तो एक करोड़ खर्च करने के बाद भी पुरानी बिल्डिंग की लाइफ मात्र 10 साल ही होगी। इतनी मोटी राशि खर्च करने के बजाए तोड़कर नया भवन बन जाता जिसकी लाइफ सालों होती।
प्रगति कॉम्प्लेक्स अब मदर्स मार्केट के नाम से जाना जाएगा
निगम प्रशासन द्वारा प्रगति कॅाम्प्लेक्स का संधारण एवं समीप में नया भवन बनाकर नया नाम मदर्स मार्केट दिया गया है। लोगों को आशंका है कि बिना प्लाङ्क्षनग कमीशन के चक्कर में बनाए गए प्रगति मार्केट की तरह मदर्स मार्केट का हाल न हो जाए। वहीं नई दुकानों के आवंटन में बंदरबांट की भी संभावना है। वास्तविक महिला हितग्राहियों को दुकान का आंवटन हो पाएगा इस पर अभी से लोग सवाल उठा रहे है। लोगों की आशंका है कि दुर्ग में निर्मित महिला समृद्धि बाजार की तरह मदर्स मार्केट का भी हश्र न हो जाए।
बिना सूचना और नोटिस दिए दुकान पर जड़ दिया ताला
प्रगति मार्केट में बीते दो दशक से काबिज पंजाब ऑटो नामक दुकान का सामान बलपूर्वक बाहर फेंक कर निगम के तोड़ूदस्ता ने बुधवार को ताला जड़ दिया। बताया जाता है कि दुकान मालिक व किराएदार मोटर मैकेनिक अवतार सिंह को न तो नोटिस दी गई न ही कोई सूचना। नियमत: दुकान खाली कराने के पहले चाहे वो कब्जाधारी ही क्यों न हो उसे व्यवस्थापन किए जाने एवं पहले सूचना दिए जाने का प्रावधान है। निगम प्रशासन ने इस प्रावधान का पालन न कर नियम कानून का उलंघन किया है। पीडि़त दुकानदार ने शासन-प्रशासन से अन्यत्र व्यवस्थापन की मांग की है। सामान बाहर फेंक देने से उनके समक्ष जीवन यापन की समस्या आ गई है। मैकेनिक पेशा और उस दुकान के अलावा उनके पास जीवन-यापन का कोई अन्य साधन नहीं है। उन्होंने अन्यथा की स्थिति में कोर्ट की शरण लेने की बात कही है।