साक्षी उस मुकाबले में एक समय 0-5 से पिछड़ रही थीं लेकिन इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की। साक्षी ने कहा कि उन्हें ओलिंपिक खेलों के महत्व के बारे में ज्यादा पता नहीं था और दो बार के ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और लंदन ओलिंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त की उपलब्धियों के बाद ही उन्हें इसके बारे में पता चला।
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27 साल की साक्षी ने ई-पाठशाला में कुश्ती के सत्र के दौरान कहा, ‘मैं बचपन से ही यह खेल रही हूं लेकिन मैं ओलिंपिक, राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी। कुश्ती में आने ओर जूनियर स्तर पर पदक जीतने के बाद इन प्रतियोगिताओं में मेरी दिलचस्पी जागी। बाद में सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त ने ओलिंपिक सहित बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीतने शुरू किए जिससे बहुत प्रेरणा मिली।’
ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता ने कहा कि जीत की भावनाओं को व्यक्त करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘जब मैं ब्रॉन्ज मेडल मैच में पहुंची तो मैं इसे नहीं गंवाना चाहती थी। मेरे कोच (कुलदीप मलिक) कह रहे थे कि तुम अपनी प्रतिद्वंद्वी से बेहतर हो। यह कड़ा मैच था।’
उन्होंने कहा, ‘मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि जीत के बाद मुझे कैसा महसूस हो रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि हंसना है, मुस्कराना है या रोना है। मेरे कोच ने बताया कि इस पदक के बाद मेरी जिंदगी बदल जाएगी लेकिन इसकी अनमोल यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी।’