राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी को देखते हुए ने अपना फैसला बदल लिया है। तेजस्वी यादव ने बाहुबली नेता रामा किशोर सिंह उर्फ लगा दी है। पिछले सप्ताह रामा सिंह के आरजेडी में शामिल होने की खबर आने के बाद रघुवंश प्रसाद ने आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। रामा सिंह ने रघुवंश प्रसाद को 2014 के लोकसभा चुनाव में हराया था, जिसके बाद से दोनों नेताओं के बीच तल्ख रिश्ते हैं।
रघुवंश प्रसाद जैसे अनुभवी नेता की नाराजगी को देखते हुए तेजस्वी यादव ने आनन-फानन में अपना फैसला बदल दिया और रामा सिंह को पार्टी में लेने से मना कर दिया है। हालांकि रामा सिंह ने कहा है कि आरजेडी की ओर से जब भी बुलावा आयेगा, मैं पार्टी ज्वाइन कर लूंगा। सूत्रों का कहना है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बेटे तेजस्वी से कहा है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रघुवंश प्रसाद जैसे नेता की नाराजगी ठीक नहीं है। इसके बाद तेजस्वी यादव ने अपने फैसले को बदल लिया है।
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) छोड़ कर आरजेडी में शामिल होने को तैयार रामा सिंह सोमवार को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करनेवाले थे। हालांकि, आनन-फानन में कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है।
रामा सिंह कौन हैं?
रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह बिहार के बाहुबली नेता हैं। अपहरण, धमकी, रंगदारी, मर्डर जैसे संगीन अपराध में आरोपी हैं। 90 के दशक में एक नाम तेजी से उभरा था, रामा किशोर सिंह। ये दौर था बाहुबल का, उसी समय हाजीपुर से सटे वैशाली के महनार इलाके में एक और दबंग उभर रहा था- राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह।
रामा सिंह ने रघुवंश को हराया
रामा सिंह पांच बार विधायक रहे हैं और 2014 के मोदी लहर में राम विलास पासवान की लोजपा (LJP) से वैशाली से सांसद चुने गए। उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया। इसी हार के बाद रघुवंश प्रसाद रामा सिंह का नाम तक नहीं सुनना चाहते हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि रामा सिंह छवि बाहुबली की है तो रघुवंश प्रसाद बिल्कुल समाजवादी और मिलनसार नेता हैं। यूं कहें कि दोनों की राजनीति की तुलना करें तो नदी के दो किनारों के समान है।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने जयचंद वैद अपहरण कांड को ही आधार बना कर पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का आरोप था कि चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र में रामा किशोर सिंह ने वैद अपहरण कांड से संबंधित जानकारी नहीं दी है, इसलिए लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।