उन्होंने वीडियो शेयर कर कहा है, ‘ये बहस चलती रहेगी, ये आज का दस्तूर नहीं है बल्कि सालों से ऐसा ही चलता आ रहा है, लेकिन आज मैं उन हजारों लाखों लोगों से मुखातिब होना चाहता हूं जो हिन्दुस्तान के छोटो-छोटे शहरों से मुंबई नगरी में आते हैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए। हो सकता है कि इन खबरों को देखकर, सुनकर आपके या आपके माता-पिता के मन में एक शंका या घबराहट पैदा हो रही हो कि कहीं मैं गलत जगह तो नहीं आ गया। क्या ऐसा ही होता है इस नगरी में? क्या मैं एक आउटसाइडर ही बनकर रह जाऊंगा? इस लॉकडाउन के अकेलेपन ने आपको थोड़ा और झकझोरा होगा, मायूसी थोड़ी और उतर गई होगी। माता-पिता के फोन आ रहे होंगे कि बेटा वापस आ जा अपने छोटो से शहर में, हमारी तरह एक आदमी की तरह जीने के लिए। उस बड़े शहर में शायद तेरा कोई स्थान नहीं है।’
उन्होंने सांसें भरते हुए कहा, ‘ आज से 39 साल पहले जब मैं मुंबई आया था तो मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। अरे गंजा है, केकड़े जैसा पतला है, हिन्दी मीडियम स्कूल का है…ऐक्टर बनने के लिए बाल चाहिए, टैलंट तो किसी के भी पास हो सकता है। 1981 में ये बातें सही भी थी। क्रिटिसाइज करने वाले, आपको नीचा दिखाने वाले, आपको हौंसलों को पस्त करने वाले आपको आपके आसपास हमेशा दिखाई देंगे। पर दोस्तो, हारना नहीं है, अपने सपनों को बीच में छोड़ना नहीं है, घबराना नहीं है। जब मैं बहुत ही एक बुरे दौर से गुजर रहा था, रेलवे प्लैटफॉर्म पर सो रहा था तो मेरे दादाजी ने कहा था कि बेटा हार मत मानना, क्योंकि भीगा हुआ आदमी बारिश से नहीं डरता।’
इसी के साथ उन्होंने ऐसे लोगों को हार न मानने को कहा है जो आज बुरे हाल में रह रहे हों। उन्होंने कहा , ‘उदास होना है लेकिन अपने सपनों को उस उदासी से हमेशा आगे रखना है। बस मेहनत करो और जब उदास हो तो दोस्तों से और अनजान लोगों से बातें करो, माता-पिता को फोन करो, उन्हें बताओ कि तुम उदास हो, मगर अपने इरादों पर अटल हो। उनका प्यार और आशीर्वाद आपके अंदर एक शक्ति पैदा कर देगा। माता-पिता से बढ़कर कोई चीज नहीं इस दुनिया में।’
उन्होंने आगे सुशांत की चर्चा करते हुए कहा, ‘शायद वह अकेला था या उसे क्या दुख सता रहा था हम नहीं जानते, पर इससे बड़ा ट्रिब्यूट हम उसे क्या दे सकते हैं कि आउटसाइडर बनकर हम हारे नहीं। हमारी जीत उसके लिए सबसे बड़ श्रद्धांजलि होगी।’
इसी के साथ उन्होंने मुंबई को दुनिया का सबसे दयालु शहर बताया है, जिसने लाखों -करोड़ों लोगों के सपने पूरे किए हैं। उन्होंने अंत में कहा है, ‘फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के लिए शंका मत रखना, यहीं के लोग आपको आपका हाथ थामकर सफलता के शिखर तक ले जाएंगे। मेरी वो फेवरेट कविता की पंक्तियां हमेशा याद रखना- लहरों के डर से नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती। जय हो।’
इससे पहले भी अनुपम खेर ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर शोक जताते हुए अपना दर्द वयां करते हुए दो वीडियो शेयर कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने काफी बातें कही हैं।
बता दें कि सुशांत सिंह पिछले काफी समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे और 14 जून 2020 को उन्होंने अपने ही घर पर पंखे से लटककर जान दे दी। पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है।