पूर्वी लद्दाख में हिंसा ( Clash in Ladakh) का ठीकरा भारत के सिर पर फोड़ने के बाद चीन ने गलवान घाटी (Galwan Valley) पर दावा भी ठोंक दिया। इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बुधवार देर रात कहा है कि चीन का ‘बढ़ाचढ़ाकर किया गया असमर्थनीय’ दावा दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति से उलट है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिन ने बुधवार को कहा था कि गलवान वैली इलाका ‘हमेशा से ही’ उसका रहा है लेकिन वह ‘और ज्यादा हिंसा’ नहीं चाहता है।
ऐसे दावे करना पुरानी सहमति से उलट
श्रीवास्तव ने कहा, ‘जैसे हमने आज पहले बताया था विदेश मंत्री, स्टेट काउंसिलर और चीन के विदेश मंत्री ने लद्दाख के मौजूदा हालात पर फोन पर बात की है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि स्थिति को जिम्मेदारी से संभालना होगा और 6 जून को सीनियर कमांडरों के बीच बनी सहमति को लागू करना होगा। बढ़ाचढ़ाकर ऐसे दावे करना जिनका समर्थन नहीं किया जा सकता, इस सहमति के उलट है।’
विदेश मंत्री ने की थी बात
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वान्ग वी से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि चीन के पक्ष को अपनी गतिविधियों पर दोबोरा सोचना चाहिए और उन्हें ठीक करने के लिए कदम उठाने चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्ष जमीन पर हालात जल्द-जल्द नरम करने और सीमा पर दोनों देशों के बीच बनी सहमति के तहत शांति स्थापित करने के लिए तैयार हो गए हैं।
पीएम ने दिया कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को कोरोना पर आगे की रणनीति तय करने के लिए मुख्यमंत्रियों की बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में चीन का नाम लिए बिना कड़ा संदेश दिया। उन्होंने देश को विश्वास दिलाया कि 20 सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ‘अपनी अखंडता और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा और पूरी दृढ़ता से देश की एक-एक इंच जमीन और देश के स्वाभिमान की रक्षा करेगा।’