मैं लोगों को सुशांत सिंह राजपूत का उदाहरण देती थी: राधिका मदान

जब से की आत्महत्या की खबर सामने आई है तभी से कुछ लोगों का कहना है कि सुशांत बॉलिवुड में खेमेबाजी और नेपोटिजम का शिकार हो गए। इसके बाद से एक बहस फिर उठ खड़ी हुई है कि क्या बाहर से आए लोगों या टीवी में काम कर रहे स्टार्स को बॉलिवुड का रुख करना चाहिए या नहीं? इस बारे में टीवी से ही फिल्मों में धीरे-धीरे पैर जमाती जा रहीं ऐक्ट्रेस खुलकर बात की है।

‘हमेशा सुशांत का उदाहरण देती थी’
विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘पटाखा’ से बॉलिवुड में डेब्यू करने वाली राधिका ने ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ और ‘अंग्रेजी मीडियम’ जैसी फिल्मों में काम किया है। ‘स्पॉटबॉय’ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने टीवी में काम करने वाले सभी ऐक्टर्स को प्रेरित किया। राधिका ने कहा कि सुशांत की कामयाबी को देखते हुए ही उन्होंने यह फैसला किया था कि वह टीवी से ब्रेक लेकर बॉलिवुड में अपनी किस्मत आजमाएंगी। राधिका ने कहा कि जब भी कोई यह कहता था कि टीवी ऐक्टर्स को कोई फिल्मों में नहीं लेता तो वह हमेशा सुशांत का उदाहरण देती थीं।

नेपोटिजम पर बात करें लेकिन इसे अपना अजेंडा न बनाएं
सुशांत की आत्महत्या के बाद एक बड़े वर्ग का कहना है कि सुशांत बॉलिवुड में खेमेबाजी और नेपोटिजम का शिकार हुए। इस बारे में बात करते हुए राधिका ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में इन बातों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि किसी को अपना अजेंडा चलाने के लिए सुशांत को जरिया बनाना चाहिए क्योंकि किसी को भी अभी तक यह ठीक से नहीं पता है कि आखिर हुआ क्या था।

मैंने भी झेला है रिजेक्शनराधिका से पूछा गया कि क्या उन्होंने भी टीवी से फिल्मों में आने के कारण भेदभाव का सामना किया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि टीवी से आने के कारण तो नहीं लेकिन इंडस्ट्री से बाहर का होने के कारण ऐसा जरूर हुआ। उन्होंने इंडस्ट्री की बैकग्राउंड होने का फर्क पड़ता है लेकिन अगर मेहनत की जाए तो चीजें बदली जा सकती हैं। राधिका ने कहा कि बॉलिवुड में नेपोटिजम मौजूद है और सब लोग इस बारे में जानते हैं लेकिन वह नहीं चाहतीं कि लोग इस मुद्दे पर अपनी जिंदगी गंवा दें क्योंकि इस मुद्दे का सामना करके इसका सॉल्यूशन निकाला जा सकता है।

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