भिलाई/रायपुर(सीजी आजतक न्यूज)। दुर्ग जिले के पाटन जनपद पंचायत के अधिकारियों की मनमानी और जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहऩ नहीं किए जाने से लोगों को राहत के बजाए परेशानी हो रही है। मामला पाटन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सेलूद में ग्राम पंचायत द्वारा बिना अनुमति घर के सामने कांक्रीट सीमेंट सड़क निर्माण का है। दो साल पहले ग्राम पंचायत की मनमानी और अविवेकपूर्व निर्णय के कारण एक परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। मामले की जब शिकायत हुई तब अधिकारियों में न सिर्फ अपनी गलतियों को छिपाने का कुत्सित प्रयास किया बल्कि कलेक्टर/कमिश्नर को भी लिखित में गलत जानकारी देकर गुमराह किया है। समझ में नहीं आ रहा है कि जनपद पंचायत के अधिकारी किसे बचाना और किससे दामन छुड़ाना चाहते है।
पीड़ित व्यक्ति ने जब ग्राम पंचायत से सीसी सड़क के संबंध में जानकारी मांगी तो कहा गया कि डीएमएफ मद से कांक्रीट सीमेंट सड़क का निर्माण हुआ है। वहीं जनपद पंचायत पाटन की ओर से आरटीआई में उस काम को डीएमएफ फंड से नहीं होने की लिखित और प्रमाणिक जानकारी दी गई है। पीड़ित ने जब दोनों के विरोधाभास जानकारी की पुष्टि के लिए जिला पंचायत से पाटन जनपद पंचायत के अंतर्गत पूरे ग्राम पंचायत की डीएमएफ फंड से होने वाले कामों की सूची मांगी तो ग्राम पंचायत सेलूद में कांक्रीट सीमेंट सड़क का निर्माण होना भी शामिल है। जनपद पंचायत पाटन के अधिकारियों ने न सिर्फ पीड़ित व्यक्ति बल्कि कलेक्टर/कमिश्नर को भी लिखित में झूठी जानकारी दी है।
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इसी तरह पीड़ित की शिकायत पर पानी निकासी के लिए व्यवस्था बनाने की लिखित जानकारी कलेक्टर कार्यालय को दी गई है जबकि पिछले बारिश से लेकर आज तक पीडित परिवार के घर से एक बूंद पानी की निकासी नहीं हुई है। यह जानकारी कलेक्टर जनदर्शन के सरकारी वेबसाइट पर अपलोड है।
शिकायतकर्ता कोई और, नोटिस किसी और को
इस मामले में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि शिकायतकर्ता कोई और है, और नोटिस किसी दूसरे को भेजा गया है। यहां तक कि पुलिस में भी शिकायत दूसरे के नाम से की गई है। जनपद पंचायत पाटन और ग्राम पंचायत सेलूद क्या चाहता है समझ से परे है। जिस व्यक्ति के नाम से (शेषनारायण) नोटिस भेजा गया और शिकायत की गई उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। मामले को लेकर पिछले दो साल से कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक शिकायतकर्ता कोई दूसरा (सत्यनारायण शुक्ला) है।
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पंचायती राज में जनपद पंचायत की मेहरबानी से ग्राम पंचायतों में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा।
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