भिलाई/रायपुर(सीजी आजतक न्यूज)। सत्ताएं और सरकार बदल जाती हैं कितु व्यवस्थाएं नहीं बदलती। कुछ ऐसा ही हाल पूर्व सीएम के विधानसभा क्षेत्र पाटन के जनपद पंचायत का है, जहां राज्य में सत्ता के साथ सरकार बदल गई किंतु भ्रष्ट और कर्तव्यहीन अधिकारियों की मनमानी अब भी चल रही है।
कांग्रेस शासन काल में शिकायत की गई समस्या का समाधान बीजेपी की नई सरकार के नौ महीनों के बाद भी नहीं हुआ है। मामला पाटन तहसील के ग्राम सेलूद का है, जहां पंचायत द्वारा बिना अनुमित घर के सामने सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण का है। घर स्वामी से बिना अनुमति लिए दरवाजे तक दो फीट ऊंची सीसी सड़क का निर्माण मनमानी तरीके से कर दिया गया है। जिससे बीते दो साल से पानी निकासी की समस्या पैदा हो गई है। इसकी शिकायत मार्च 2023 में ग्राम पंचायत में की गई थी। पंचायत द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने के बाद कलेक्टर दुर्ग और संभाग आयुक्त से की गई। शीर्षस्थ अधिकारियों से समस्या की शिकायत के बाद ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत पाटन द्वारा गुमराह करने वाली की जानकारी लिखित में दी गई। पंचायत और जनपद पंचायत की मनमानी के कारण भरी बरसात में परिवार को पलायन करना पड़ा।
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घर स्वामी के बिना अनुमति सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण की शिकायत लगभग दो साल पहले की गई, किंतु समस्या का निराकरण नहीं हुआ, तब मजबूरीवश घर स्वामी को बरसात के पूर्व पानी निकासी के लिए अस्थायी व्यवस्था करनी पड़ी। जो काम पंचायत और जनपद पंचायत को करना था उसे पीड़ित व्यक्ति को अतिरिक्त राशि व्यय कर करना पडा। अब जनपद पंचायत के अधिकारियों द्वारा पीडित परिवार को गैर जिम्मेदाराना तरीके से डिमांड पत्र भेजा गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पीड़ित की शिकायत पर बीते दो साल में कार्रवाई क्यों नहीं की गई। दूसरा जो उच्च अधिकारियों को लिखित में गुमराह करने वाली जानकारी दी गई उसके खिलाफ सक्षम प्राधिकारी में जाने की तैयारी की जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि जागरूक और समाज के जिम्मेदार व्यक्ति और वकील के साथ इस तरह की हरकत की जा रही है तो आम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
अगली कड़ी
1-जिम्मेदार अधिकारी लिखित में झूठ बोलकर किसको धोखा दे रहे, खुद, विभाग या उच्च अधिकरी को
2-शिकायतकर्ता कोई दूसरा और नोटिस किसी और के नाम से।
3-जिस व्यक्ति को धमकी और डिमांड पत्र भेजा गया वो खुद कानून के जानकार है। यदि वे भ्रष्ट अधिकारी के पीछे पड़ गए तो सर्विस काल तो छोड़ दो रिटायरमेंट के बाद भी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। वैसे भी नए कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के तहत लिखित में झूठ बोलना और गलत जानकारी देने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
4- जब अधिकारी पार्टी बनते और कानून की जद में आते हैं तो राजनीतिक पहुंच और उनके आका न तो काम आते और न ही बचाने आते है। इसका ताजा उदाहरण -सौम्या चौरसिया और एपी त्रिपाठी है।
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