जिनपिंग के ड्रीम बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट पर कोरोना का ब्रेक

पेइचिंग
भारत की आपत्ति के बावजूद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अतिमहत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को हरी झंडी देने वाले चीन के सामने अब इसके बुरी तरह फंसने का खतरा मंडरा रहा है। लद्दाख में भारत से आंखें तरेर रहे चीन के अरबों डॉलर के इस प्रॉजेक्ट पर कोरोना वायरस महामारी का बेहद नकारात्मक असर पड़ा है। या तो कई प्रॉजेक्ट बंद हो गए या बेहद नुकसान का सामना कर रहे हैं और चीन के सामने यह एक बड़ी आर्थिक चुनौती की तरह खड़ा हो गया है।

करीब 80 प्रतिशत प्रॉजेक्ट्स पर कोरोना का असर
चीनी अधिकारियों ने बताया है कि BRI के कई प्रॉजेक्ट महामारी की वजह से बेहद बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इनका मकसद एशिया, अफ्रीका और यूरोप में चीन के असर को बढ़ाने के लिए व्यापार और निवेश का विस्तार करना था। चीन के विदेश मंत्रालय के इंटरनैशनल इकनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल वान्ग शियालॉन्ग के हवाले से साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा है कि 40% प्रॉजेक्ट्स पर बहुत बुरा असर पड़ा है और 30-40% प्रॉजेक्ट कुछ हद तक प्रभावित हैं।

पाकिस्तान के ग्वदर पोर्ट से जुड़ा सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट
साल 2013 में सत्ता में आने के बाद जिनपिंग ने BRI को लॉन्च किया था। इसका मकसद दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीन और समुद्र के एक नेटवर्क से जोड़ना था। चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वदर पोर्ट से चीन के शिनझियांग प्रांत को जोड़ेगा। यह BRI का सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट है। पिछले हफ्ते चीन ने पहला वीडियो कॉन्फ्रेंस कर BRI प्रॉजेक्ट्स की शुरुआत की। जानकारी के मुताबिक कोरोना की वजह से प्रभावित प्रॉजेक्ट्स में CPEC भी शामिल है जिसकी कीमत 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत ने चीन से इसे लेकर आपत्ति जताई है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर निकलता है।


आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों ने रोका काम

मलेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, कंबोडिया और श्रीलंका जैसे देशों ने हाल ही में चीन के फंड किए हुए प्रॉजेक्ट्स पर या तो ब्रेक लगा दिया है, या उनमें देरी हो रही है। CPEC के अलावा कंबोडिया के सिहानूकविले स्पेशल इकनॉमिक जोन और इंडोनेशिया के जकार्ता-बान्डुंग हाई-स्पीड रेल पर कोरोना का असर पड़ा है। BRI के अंतर्गत कई प्रॉजेक्ट्स को या तो रोक दिया गया है या बहुत कम काम चल रहा है। माना जाता है कि BRI के जरिए चीन दुनियाभर में अपने फंड किए हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के जरिए विदेशों में अपना प्रभाव बढञाना चाहता है।

छोटे देशों को कर्जदार बना रहा है चीन
इसे लेकर चीन के खिलाफ यह आरोप भी लगा है कि वह छोटे शहरों को कर्जदार बना रहा है। श्रीलंका ने 2017 में अपना हंबनटोटा पोर्ट चीन को कर्ज चुकाने के लिए 99 साल की लीज पर दे दिया। SCMP ने ऑक्सफर्ड बिजनस ग्रुप के हवाले से लिखा है कि जनवरी तक 3.87 ट्रिलियन USD की कीमत के BRI से जुड़े 2,951 प्रॉजेक्ट्स का प्लान बनाया जा चुका था या बनाया जा रहा था। एशिया और अफ्रीका में कई देश इन मेगा प्रॉजेक्ट्स को जारी नहीं रख सके क्योंकि वे कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं।

चीन से कर रहे कर्जमाफी की अपील
नाइजीरिया में 1.5 बिलियन USD के रेल प्रॉजेक्ट में कोरोना की वजह से देरी हो रही है जबकि चीन के फंड किए हुए कई प्रॉजेक्ट जांबिया, जिंबाब्वे, अल्जीरिया और मिस्र में रोक दिए गए हैं क्योंकि ये देश अपने यहां कोरोना की महामारी से लड़ने में उलझे हैं। कई देशों ने मोटरवे, पोर्ट, बांध और रेल से जुड़े मेगा प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए अरबों डॉलर के कर्ज चीन से ले लिए थे। अब वे चीन से कर्ज चुकाने में रियायत मांग रहे हैं।

अफ्रीकी देशों पर अरबों डॉलर का कर्ज
पहले शि जिनपिंग ने अफ्रीकन देशों से वादा किया था कि इस साल के कर्ज को माफ कर दिया जाएगा और चीन के वित्तीय संस्थानों से अफ्रीकन देशों से बातचीत कर इसे लेकर व्यवस्था करने को कहा था। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ अडवांस्ड इंटरनैशनल स्टडीज के चीन अफ्रीका रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक 2000 से लेकर 2018 तक चीन का अफ्रीका पर कुल कर्ज 152 बिलियन डॉलर का है।

अब कर्ज देने से कतराने लगे हैं देनदार
चीन ऐग्जिम बैंक और चीन डिवेलपमेंट बैंक जैसे चीन के पॉलिसी बैंक्स ने ज्यादातर BRI प्रॉजेक्ट्स को फंड किया था। वे अब कर्ज देने में सतर्कता बरत रहे हैं। महामारी से पहले ही चीन के पॉलिसी बैंक नए बेल्ड ऐंड रोज लोन कम कर रहे थे। देनदारों ने पिछले साल दस साल में एनर्जी प्रॉजेक्ट्स की फंडिंग कम सबसे कम कर दी है। चीन के विदेश मंत्री वान्ग यी ने प्रॉजेक्ट्स को जल्द शुरू करने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा है, ‘BRI के अहम प्रॉजेक्ट्स को जल्द शुरू करना, इंडस्ट्रियल और सप्लाई चेन को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है जिससे सभी देशों की आर्थिक हालत मजबूती से ठीक हो सके।’

दोबारा प्रॉजेक्ट शुरू करना खतरनाक, मुश्किल
वर्जीनिया के विलियम ऐंड मैरी कॉलेज के रिसर्च लैब AidData के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर ब्रैडली पार्क्स का कहना है कि कोरोना केस जिस तरह से बढ़ रहे हैं उससे इस तरह के ऑन-साइट निर्माणकार्य को जारी रखना बेहद मुश्किल और खतरनाक है। उन्होंने कहा है, ‘मुझे लगता है कि हम (बेल्ट ऐंड रोड) प्रॉजेक्ट्स के लागू होने में सुस्ती देखेंगे।’ वहीं, सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल के असोसिएट प्रफेसर जेम्स क्रैबट्री का कहना है कि लॉकडाउन के बाद आई मंदी से चीन के पास अफ्रीका और कहीं और खर्च करने के लिए कम पैसे बचे हैं। उन्होंने कहा है कि शी जिनपिंग के सामने भी दो क्षेत्रों को लेकर दबाव है- गरीब देश अपना कर्ज माफ करना चाहते हैं और उनके नागरिक चाहते हैं कि पैसे विदेश न गए होते और उनकी रिकवरी में इस्तेमाल होते।

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