दुनिया के कई देश और उनके कई हेल्थ और रिसर्च इंस्टिट्यूट कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में लगे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी जिस वैक्सीन पर काम कर रही है, वह कोरोना वायरस के तोड़ की रेस में सबसे आगे है। WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामिनाथन ने कहा है, ‘वह जिस स्टेज पर हैं और जितने अडवांस्ड हैं, मुझे लगता है वे सबसे आगे निकल रहे हैं।’ ऑक्सफर्ड और AstraZeneca Plc. की वैक्सीन ChAdOx1 nCov-19 क्लिनिकल ट्रायल के फाइनल स्टेज में है। इस स्टेज में पहुंचने वाली दुनिया की इस पहली वैक्सीन को अब 10,260 लोगों को दिया जाएगा। इसका ट्रायल ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील में भी हो रहा है।
स्वामिनाथन ने कहा, ‘हमें पता है कि Moderna की वैक्सीन भी तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल में पहुंचने वाली है, शायद जुलाई में, इसलिए वे भी ज्यादा पीछे नहीं हैं।’ हालांकि उन्होंने कहा कि अगर यह देखा जाए कि वे अपने ट्रायल कहां प्लान कर रहे हैं और कहां करेंगे, तो AstraZeneca का ग्लोबल स्कोप ज्यादा है।’ यह वैक्सीन ChAdOx1 वायरस से बनी है जो सामान्य सर्दी पैदा करने वाले वायरस का एक कमजोर रूप है। इसे जेनेटिकली बदला गया है इसलिए इससे इंसानों में इन्फेक्शन नहीं होता है।
अमेरिका की Moderna Inc अपनी वैक्सीन mRNA-1273 के दूसरे चरण के ट्रायल शुरू कर चुकी है। कंपनी दवाई बनाने वाली Catalent Inc के साथ 2020 की पहली तिमाही तक 100 मिलियन डोज बनाने की कोशिश में है। Catalent की वैक्सीन की पैकेजिंग, लेबलिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन करेगी जब Moderna की वैक्सीन लेट-स्टेज क्लिनिकल ट्रायल में पहुंच जाएगी। Catalent ने Johnson & Johnson और AstraZeneca के साथ भी पार्टनरशिप की है। Moderna जुलाई में 30 हजार लोगों पर फाइनल स्टेज ट्रायल के लिए तैयार है और इस साल नवंबर में इसके डेटा के आने की उम्मीद में है।
फ्रांस की फार्मासूटिकल कंपनी Sanofi ने हाल ही में कहा है कि उसने दिसंबर की जगह अपनी वैक्सीन का ट्रायल सितंबर में करने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी का दावा है कि वह कई ‘कैंडिडेट्स’ पर काम कर रही है और इस साल की चौथी तिमाही तक इंसानों पर ट्रायल शुरू कर देगी। Sanofi ने यह भी ऐलान किया है कि वह अमेरिका की स्टार्टअप Translate Bio के साथ वैक्सीन डिवेलपमेंट में अपने विस्तार के लिए 425 मिलियन डॉलर का निवेश भी करेगी।
थाइलैंड में सात COVID-19 वैक्सीन पर काम कर चल रहा है। अलग-अलग तरीकों से वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे थाइलैंड का कहना है कि उसकी एक कैंडिडेट इंसानों पर ट्रायल के लिए अक्टूबर में तैयार हो सकती है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक बंदरों में इंजेक्शन पर ऐंटीबॉडी बनती पाई गई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कई बंदरों में ऐसी ऐंटीबॉडीज बनीं जो वायरस को सेल में घुसने या नुकसान पहुंचाने से रोक सकती हैं। इसमें mRNA वैक्सीन टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और जानवरों पर टेस्ट के फाइनल रिजल्ट दो हफ्ते में आ सकते हैं।