चीन अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए बॉर्डर पर कितना ही तनाव बढ़ा ले लेकिन भारत इसके आगे दबेगा नहीं। पर चीन क्या छिपा रहा है यह सबके लाने की कोशिश में जुटा रहेगा। देश ने खुले तौर पर वैश्विक मंच पर यह कह दिया है कि सबको मिलकर यह पता करना चाहिए आखिर कोरोना वायरस फैला कहां है।
भारत ने अबतक अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की तरह खुले तौर पर चीन को वायरस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है। ऑस्ट्रेलिया ने जब जांच की बात की तो उसके बाद से चीन ने उसे बदले की धमकी देनी शुरू कर दी थी। दूसरी तरफ अबतक भारत सिर्फ इतना कह रहा था कि वायरस के फैलने की जानकारी को दबाए रखा गया था। लेकिन अब लहजे में थोड़ी सख्ती देखी गई है।
शनिवार को अलायंस फॉर मल्टीलेटरलिस्म की मीटिंग में विदेश मंत्री जयशंकर ने जांच पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें राजनीति को अलग करके इस बात पर फोकस करना चाहिए कि कोरोना आखिर फैला कैसे। इससे हम भविष्य के किसी बड़े खतरे से निपटने के लिए पहले से तैयारी कर सकते हैं। दूसरी तरफ LAC तनाव पर भारत ने कह दिया है कि इसका असर द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ेगा।
इससे पहले वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने 20 मई को एक प्रस्ताव भी पास किया था। इसमें कोरोना वायरस कैसे आया और लोगों में यह कैसे फैला इसकी वजह पता लगाने पर सब एकमत हुए थे। 122 देशों ने इसका समर्थन किया था। अबतक की कुछ रिपोर्ट्स में तो यह दावा है कि वायरस जानवर से मनुष्य तक पहुंचा। इसका सोर्स चीन की जानवरों वाली मांस मार्केट को माना जा रहा।
चीन पर प्रेशर बनाना इस वक्त यह करना ज्यादा कठिन नहीं है क्योंकि देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ही WHO के एक्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन हैं। मतलब सीधा है कि भारत मजबूत स्थिति में है। दूसरी तरफ चीन वैश्विक दबाव से घबराया हुआ है। पिछले दिनों चीन-अफ्रीकी समिट में इसकी झलक दिखी। पेइचिंग में हुए इस इवेंट में चीन खुद को पाक साफ बताता दिखा। उसने कहा कि कोरोना की दवाई अगर वह बनाते हैं तो अफ्रीकी देशों में उसे सबसे पहले पहुंचाएंगे।