भिलाई/जगदलपुर. मजीठिया वेडबोर्ड केस मामले में प्रबंधन का पक्ष दमदारी के साथ प्रबंधन के पक्ष में नहीं रखने वाले बस्तर के शाखा प्रबंधक (ब्रांच मैनेजर) को पत्रिका ने संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जगलपुर के ब्रांच मैनेजर शब्द कुमार सोलंकी को राजस्थान पत्रिका प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया है.बताया जाता है कि बीएम शब्द कुमार ने मजीठिया वेजबोर्ड केस मामले में प्रबंधन का पक्ष दमदारी के साथ श्रम न्यायाल में नहीं रख पाया, फलस्वरूप उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
मजीठिया वेजबोर्ड मामले में कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ा रहा
बता दें को राजस्थान पत्रिका प्रबंधन को पूरे भारत सहित छत्तीसगढ़ में मजीठिया वेजबोर्ड मामले में कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ा रहा है. जगदलपुर संस्करण के कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण काल में नौकरी से बार्खस्त करने के मामले में कई कर्मचारियों ने कोर्ट की शरण ली है. इसी कड़ी में जगदलपुर के शाखा प्रबंधक को प्रबंधन की ओर से पक्ष रखना था कितुं वे न सिर्फ न्यायालय में अनुपस्थिति हुए बल्कि अपने मातहत अन्य कर्मचारियों को पेशी में प्रबंधन की ओर से भेजते रहे हैं. जबकि बस्तर का प्रमुख व्यक्ति/अधिकारी होने के नाते उन्हें ही कोर्ट में उपस्थिति होना था. वे अपने बदले कर्मचारियों को पेशी में भेजते रहे जिससे का प्रबंधन का पक्ष कमजोर होता गया है और केस हार गए. इसे गंभीर चूक मानते हुए पत्रिका प्रबंधन ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया है.
पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ पहली लड़ाई जीत ली
बता दें कि पत्रिका जगदलपुर संस्करण के कर्मचारी पीसी बनपेला और आरई (रेजिडेंट एडिटर, स्थानीय संपादक) वीरेंद्र मिश्रा ने टर्मिनेशन प्रकरण के खिलाफ और मजीठिया वेजबोर्ड की मांग को लेकर श्रम पदाधिकारी कार्यालय में प्रकरण दर्ज कराया था. वहां के श्रम पदाधिकारी ने पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ फैसला सुनाते हुए प्रकरण को लेबर कोर्ट (श्रम न्यायालय) में रेफर कर दिया है. इस मामले में पत्रिका के कर्मचारी और अधिकारी ने पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ पहली लड़ाई जीत ली है. प्रकरण श्रम न्यायालय में लंबित है.
रायपुर बीएम को भी दिखाया था बाहर का रास्ता
बता दें कि इसके पहले भी छत्तीसगढ़ पत्रिका प्रबंधन ने भिलाई-दुर्ग संस्करण के कर्मचारियों के प्रकरण में प्रबंधन का पक्ष नहीं रख पाने के कारण रायपुर के शाखा प्रबंधक (बीएम) अभिषेक चौधरी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. वहीं इस मामले में यह भी चर्चा थी कि दामाद की नौकरी बचाने के चक्कर में राजस्थान पत्रिका के मुख्यालय जयपुर में पदस्थ श्वसुर ने बीएम अभिषेक चौधरी की नौकरी की बलि ले ली थी.