भिलाई/रायपुर. राजनीति में परिवारवाद की तरह पत्रिका प्रबंधन में भी भाई-भतीजावाद चल रहा है। हो भी क्यों नहीं, पत्रकारिता और राजनीति एक-दूसरे के पूरक जो है। मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के अनुरूप वेतनमान का लाभ देने से बचने के लिए पत्रिका प्रबंधन द्वारा भी तमाम तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है। इसी कड़ी में रायपुर कार्यालय से नौकरी से बर्खास्त किए अधिकारी अभिषेक चौधरी के मामले में अंदरखाने से अलग तरह की जानकारी मिली है।
उनका तबादला बतौर सजा के रूप में रायपुर कर दिया
बताया जाता है कि पत्रिका छत्तीसगढ़ में ससुर (विनोद कुमार जैन) और दामाद (दिनेश कुमार जैन) दोनों पदस्थ थे। विनोद जैन सीजी के जोनल हेड थे, वहीं दिनेश जैन बिलासपुर में पदस्थ थे। उनका तबादला बतौर सजा के रूप में रायपुर कर दिया गया। वहीं ससुर विनोद जैन को जयपुर हेड ऑफिस भेज दिया गया। वे हेड ऑफिस जयपुर से सीजी का प्रोडक्शन और एचआर को कंट्रोल करेंगे। वहीं दामाद दिनेश की नौकरी सुरक्षित रखने रायपुर एडमिन में जोड़ कर रखा गया है।
बाताया जाता है कि उनकी भी (दिनेश) नौकरी जाने वाली थी, किंतु ससुर ने साजिश रच दामाद की नौकरी बचा ली. उनके बदले रायपुर के अभिषेक चौधरी को बलि का बकरा बना दिया गया। इस साजिश में छत्तीसगढ़ पत्रिका के कई उच्च अधिकारी शामिल बताए जाते हैं।
एएलसी के यहां मजीठिया वेजबोर्ड और बर्खास्ती का केस लंबित
बता दें कि पत्रिका प्रबंधन को छत्तीसगढ़ के कई संस्करणों के कर्मचारियों द्वारा मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ नहीं देने के कारण कोर्ट कचहरी की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न अदालतों सहित लेबर कोर्ट और कई जिलों के एएलसी के यहां मजीठिया वेजबोर्ड और बर्खास्ती का केस लंबित है। पेशी में प्रबंधन की ओर से दमदारी के साथ उनका पक्ष नहीं रखने वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
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