मजीठिया पेशी में अनुपस्थित रहने वाले छत्तीसगढ़ के कर्मचारी को पत्रिका ने दिखाया बाहर का रास्ता

भिलाई. देश के विभिन्न न्यायालयों में लंबित मजीठिया वेज बोर्ड मामले में राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। मजीठिया वेज बोर्ड प्रकरण में कोर्ट कचहरी में सवालों का जवाब देने एवं पेशी में पत्रिका के विभिन्न संस्करणों के जिम्मेदार अधिकारियों को न्यायालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। प्रकरण में प्रबंधन की ओर से जवाब देने एवं पेशी तिथियों में उपस्थित नहीं होने वाले अधिकारियों पर गाज गिरने शुरु हो गई है। यह कदम चौतरफा घिरे पत्रिका प्रबंधन की हताशा को दर्शाता है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के रायपुर संस्करण के यूनिट हेड अभिषेक चौधरी पर बर्शाख्तगी की गाज गिर गई है। उन्हें प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।


बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के विपरीत पत्रिका ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न संस्करणों में कार्यरत कर्मचारियों को कोरोना लॉकडाउन में काम से पृथक कर दिया है। जबकि पीएम मोदी ने कोरोना लॉकडाउन में किसी भी संस्थान के कर्मचारियों को काम से नहीं निकाले जाने की बात कही थी। पत्रिका प्रबंधन ने पीएम मोदी के आह्वान का खुला उलंघन कर छत्तीसगढ़ राज्य से लगभग आधा सैकड़ा कर्मचारियों को काम से निकाल दिया है। काम से निकाले गए कर्मचारियों ने बर्खास्तगी एवं मजीठिया वेडबोर्ड की अनुशंसा के अनुरूप वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इनमें रायपुर मुख्यालय के अलावा स्टील सिटी भिलाई नगर सहित जगदलपुर के कर्मचारी शामिल है। इन कर्मचारियों का मामला विभिन्न न्यायालयों में लंबित है।

जगदलपुर पेशी ने नहीं गए चौधरी
बताया जाता है कि जगदलपुर लेबर कोर्ट में वहां के कर्मचारियों ने मजीठिया वेजबोर्ड के लिए याचिका दायर की है। लगातार दो-तीन पेशी में अनुपस्थिति के कारण कोर्ट ने पत्रिका प्रबंधन को फटकार लगा चुकी है। इसी कड़ी में प्रबंधन की ओर से रायपुर यूनिट हेड अभिषेक चौधरी को नियत तिथि में पेशी में प्रबंधन की ओर से उपस्थित होना था। वे न सिर्फ सुनवाई तिथि में अनुपस्थित रहे बल्कि अपनी जगह जगदलपुर के ब्रांच मैनेजर शब्द कुमार को और शब्द कुमार ने अपने जूनियर को प्रबंधन को बिना सूचना दिए भेज दिए थे। वे न्यायालय में सवालों का संतोषजनक जबाव नहीं दे पाया। उन्होंने न्यायालय को बताया कि वे निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने सवाल का जवाब प्रबंधन के उच्च अधिकारियों को पूछकर देने की बता कही थी। न्यायालय ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए अगली तिथि में सक्षम प्राधिकृत अधिकारी को भेजने कहा था। प्रबंधन के इस रवैए से पत्रिका समाचार पत्र की न्यायालय में काफी किरकिरी हुई थी। स्थानीय अखबारों और वेब पोर्टल में इस संबंध में खबर चली थी। इसे देखते हुए पत्रिका प्रबंधन ने अभिषेक चौधरी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

कोरोना लॉकडाउन की बरसी में दिया टारगेट, कर्मचारियों के छूटे पसीने
राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र कोरोना लॉकडाउन की बरसी माह मार्च 2021 में 65 वीं वर्षगांठ मना रहा है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के सभी संस्करणों को बकायदा टारगेट दिया गया है। एक तो कोरोना काल में सभी काम धंधे और व्यवसाय ठप है ऐसे में पत्रिका द्वारा वर्षगांठ मनाना उनके दिमागी दिवालिएपन को दर्शाता है। किंचित संस्थानों का काम धंधा पटरी पर आने के बाद भी विज्ञापन नहीं दे पा रहा है ऐसे में लाखों रुपए का टारगेट देना एवं एक सप्ताह तक वर्षगांठ उत्सव मनाना समझ से परे है। सभी संस्करणों के कर्मचारियों को टारगेट पूरा करने में उनकी नानी याद आ रही है। ऐसे में शहर के सभी सेंटरों में केक काटने के फरमान और केक काटने वालों से पांच हजार रुपए विज्ञापन लेना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। विज्ञापन विभाग के कई कर्मचारी संस्थान की भांडगिरी करने के बजाए नौकरी छोडऩे का मन बना रहे हैं।

चौधरी भी हमारी कतार में होंगे शामिल
मजीठिया वेडबोर्ड पेशी प्रबंधन की ओर से पेशी में उपस्थित होने वाला अभिषेक चौधरी भी संघर्ष करने वालों की तकार में शामिल हो गया। उनके बाद भिलाई संस्करण के चार कर्मचारियों का नंबर बताया जा रहा है।

हिंदुस्तान का एकमात्र अखबार जहां अभी भी वेतन की कटौती
राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र हिंदुस्तान का एकमात्र ऐसा अखबार है जहां कोरोना लॉकडाउन की बरसी तक कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जा रही है। वहीं अन्य अखबारों में मात्र दो-तीन महीने तक कटौती की गई थी। पत्रिका में अभी भी 30 फीसदी वेतन की कौटती कोरोना संक्रमण के नाम पर की जा रही है। इससे कर्मचारियों में प्रबंधन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।

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