पत्रिका अखबार के झूठ की पोल कमिश्नर कोर्ट में फिर खुली, कानून की नजर में सब एक समान

भिलाई/रायपुर (सीजीआजतक न्यूज़). राजस्थान पत्रिका प्रबंधन के झूठ की पोल एक बार फिर कमिश्नर कोर्ट रायपुर में खुल गई। दरअसल सुनवाई में एक व्यक्ति जो अपने आपको को पत्रिका रायपुर का यूनिट हेड अभिषेक चौधरी बता रहा था। जबकि वह व्यक्ति कोई और दूसरा था। आवेदक की आपत्ति और फोल खुलता देख उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली। कमिश्नर ने पत्रिका प्रबंधन की सारी दलीलों को सुनने के बाद तीन दिनों के भीतर जवाब देने का आदेश पारित किया है।
बता दें कि 9 फरवरी को पत्रिका जगदलपुर के मार्केटिंग विभाग के कर्मचारी पूनमचंद्र बनपेला की मजीठिया वेजबोर्ड प्रकरण की सुनवाई रायपुर कमिश्नर कोर्ट में थी। सुनवाई का समय दोपहर 12 निर्धारित थी। हमेशा की तरह पत्रिका रायपुर के फर्जी यूनिट हेड दो घंटे की देरी से पेशी में उपस्थित हुआ। आवेदक बनपेला ने फर्जी यूनिट हेड को पहचानने के बाद एवं फेसबुक में उसका फोटो दिखाते हुए उसे आधार कार्ड दिखाने कहा, तो वे तत्काल अपनी बातों से पलट गया और कहा कि वे यूनिट हेड नहीं बल्कि एचआर हेड पवन कुमार सूर्या है। इस तरह एक बार फिर पत्रिका प्रबंधन के झूठ का खुलासा कोर्ट के सामने हो गया।
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बात दें कि कोरोना लाकॅडाउन में छत्तीसगढ़ पत्रिका से काम से पृथक किए गए कर्मचारियों ने पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ विभिन्न जिलों के सहायक श्रम आयुक्त (एएलसी) सहित लेबर कोर्ट में केस फाइल किया है। विभिन्न जिलों में कर्मचारियों की दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। इसी कड़ी में जगदपुर पत्रिका कर्मचारी पूनमचंद बनपेला के प्रकरण की सुनवाई श्रम पदाधिकारी जगदलपुर के बाद रायपुर कमिश्नर के यहां सुनवाई चल रही है। 9 फरवरी को पहली पेशी थी। अगली पेशी तिथि तीन दिन बाद 12 फरवरी को नियत की है।

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चालाकी काम नहीं आई
पत्रिका प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने मामले को लंबित करने की नियत से कमिश्नर के समक्ष जवाब देने के लिए एक माह का समय मांगा जिसे खारिज कर दिया। पत्रिका प्रबंधन कोरोना लॉकडाउन में नियम विरुद्ध एवं श्रम कानून का उलंघन करते हुए काम से निकाले गए कर्मचारियों को काम वापसी सहित मजीठिया वेडबोर्ड की अनुशंसा का लाभ देने से बचने अनैतिक रास्ते निकालकर कोर्ट को भी गुमराह कर रहा है। इसी कड़ी में मजीठिया वेडबोर्ड का लाभ से बचने फर्जी फोर्ट फोलियो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का गठन कर कर्मचारियों को फ्लेसमेंट एजेंसी का कर्मचारी बताने से भी बाज नहीं आ रहा है। वहीं माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फोर्ट फोलियो कंपनी को साल 2017 में ही फर्जी करार दिया है। इसके बाद भी पत्रिका प्रबंधन राज्य के विभिन्न जिलों के श्रम न्यायालय में लंबित प्रकरण में पऋथक किए गए लोगों को अपना कर्मचारी न मानते हुए प्लेसमेंट कंपनी का कर्मचारी बताकर न्यायालय की अवमानना कर रहा है।

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कानून सबके लिए बराबर
कमिश्नर के यहां सुनवाई में उपस्थित आवेदक पूनमचंद बनपेला ने बताया कि पत्रिका प्रबंधन अपने आपको को न्यायालय से ऊपर समझ रहा है। यही कारण है कि पत्रिका के प्रधान संपादक, छत्तीसगढ़ के राज्य संपादक और महाप्रबंधक के नाम से जारी नोटिस की अवहेलना कर अधीनस्थ कर्मचारियों को पेशी में बार-बार भेज रहा है। जबकि इस संबंध में न्यायालय ने कई बार कर्मचारियों को फटकार भी लगा चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून सबके लिए बराबर होता है कोई अपने आपको को कानून से ऊपर न समझे। हमारे देश में कानून की समानता के कारण पूर्व प्रधानमंत्री सहित दो-दो पूर्व मुख्यमङ्क्षत्रयों को जेल की हवा खानी पड़ी थी। एक पूर्व मुख्यमंत्री अभी भी जेल में सजा भुगत रहा है।

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