राजस्थान पत्रिका कर्मचारियों का मामला : चार पेशी में अलग-अलग चार कर्मचारी हुए उपस्थित

दुर्ग/भिलाई (सीजीआजतकन्यूज).कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन में राजस्थान पत्रिका प्रबंधन द्वारा नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों की सहायक श्रम आयुक्त दुर्ग के यहां अंतिम और चौथी पेशी शुक्रवार 4 दिसबंर 2020 को हुई। पेशी में दुर्ग भिलाई के अलावा कवर्धा, राजनांदगांव के कर्मचारी भी उपस्थित हुए। कर्मचारियों के परिवाद एवं सुनवाई में एक बात सामने आई, वे है चार पेशी में पत्रिका प्रबंधन की ओर से अलग-अलग 4-4 कर्मचारी उपस्थित हुए। इससे यह साफ जाहिर हुआ कि कर्मचारियों को निकालने में श्रम कानून का खुलकर उलंघन किया गया और प्रबंधन की ओर से भी भाई-भतीजावाद नीति अपनाई गई। यही कारण है कि एएलसी की फटकार के बाद भी प्रबंधन की ओर निर्णय लेने वाले व्यक्ति (उच्चाधिकारी) उपस्थित नहीं हुआ।


राजस्थान पत्रिका का मामला : एएलसी ने कहा अगली पेशी में फोर्ट फोलियो के प्राधिकृत अधिकारी को भेजे

10 साल पुराने कर्मचारियों की सुनवाई में ढाई साल पहले नौकरी में आया व्यक्ति हुआ उपस्थित
सुनवाई के दौरान मजेदार वाकया सामने आया। प्रबंधन ने ऐसे व्यक्ति को पेशी में भेजा जो न तो फोर्ट फोलियों प्राइवेट लिमिटेड कंपनी गठन, उद्ेश्य, दुर्ग-भिलाई में वर्तमान कार्यालय का पता आदि के बारे में कुछ भी जवाब नहीं दे पाया। बता दें कि पहली पेशी में भिलाई कार्यालय के कथित यूनिट हेड मनीष शर्मा, दूसरी पेशी में रायपुर पत्रिका के यूनिट हेड अभिषेक चौधरी और तीसरी पेशी में भिलाई कार्यालय का एक मामूली कर्मचारी (डाकिया) उपस्थित हुए।

पत्रिका प्रबंधन हाय हाय… के लगे नारे, एएलसी ने कहा अगली पेशी में निर्णय लेने वाले व्यक्ति को भेजे

बगले झांकते नजर आए
चौथी एवं अंतिम पेशी में भी प्रबंधन की ओर से रायपुर पत्रिका कार्यालय के एचआर विभाग से कोई सूर्या सरनेम का कर्मचारी उपस्थित हुआ जो किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाया। वे सहायक श्रम आयुक्त (एएलसी) आरके प्रधान के सवालों का जवाब देने के बजाय निरुत्तर और पसीना-पसीना हो गए। इसके बाद वहां उपस्थित आवेदकों ने सवालों की झड़ी लगा दी। जैसे फोर्ट फोलियो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का गठन कब हुआ, गठन का उद्ेश्य, कार्यक्षेत्र, कौन-कौन पदाधिकारी, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्यों की संख्या, अब-तक की अॅाडिट रिपोर्ट, जीएसटी नंबर आदि के बारे में पूछे जाने पर बगले झांकते नजर आए।

फर्जी कंपनी का अस्तित्व समाप्त हो चुका वर्ष 2017 में
कोरोना लॉकडाउन के दौरान काम से निकाले गए कर्मचारियों के संबंध में प्रबंधन के व्यक्ति ने कहा वे सभी प्लेसमेंट कंपनी के कर्मचारी है। हमने प्लेसमेंट कंपनी से मैन पावर कम करने कहा था तो उन्होंने काम से निकाल से निकाल दिया है। एएलसी ने कहा कि काम से निकालने में श्रम कानून का पालन नहीं किया गया है। इसी तरह उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल नियोक्ता पत्रिका प्रबंधन है तो उसकी भी जिम्मेदारी बनती है कि श्रम कानूून फस्र्ट कम, लास्ट गो (प्राकृतिक न्याय) की अवधारण का पालन करे। वहीं फोर्ट फोलियो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के बारे में सवाल जवाब किए जाने पर अधिकृत व्यक्ति सकारात्मक जवाब नहीं दे पाया। सुनवाई के दौरान ही फोर्ट फोलियो कंपनी के बारे में नेट से जानकारी निकालने पर ज्ञात हुआ कि कंपनी का अस्तित्व 2017 से समाप्त हो चुका है। सुनवाई के दौरान दुर्ग संभाग में कंपनी का पता कसारीडीह दुर्ग जिला मुख्यालय बताया जिसका सत्यापन करने पर कोई भौतिक और भौगोलिक अस्तित्व नहीं मिला।

क्या है फोर्ट फोलियो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
बता दें कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष नवंबर 2011 में मीडिया कर्मचारियों (पत्रकार और गैर पत्रकार) के लिए मजीठिया वेजबोर्ड वेतनमान की अनुशंसा की है। इसके तहत कर्मचारियों के लिए सम्मानजनक वेतनमान की व्यवस्था की है। (मजीठिया वेजबोर्ड वेतनमान न देना पड़े) इससे बचने के लिए राजस्थान पत्रिका प्रबंधन ने फर्जी कपंनी बनाकार वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को उस संस्था में दोबारा नियुक्ति देकर कोरोना संक्रमण की आड में बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इससे वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों के समक्ष गंभीर आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।

क्यों जरुरत पड़ी वेजबोर्ड गठन की
बता दें कि देश के मीडिया घराने सरकार से सभी सुख सुविधाए प्राप्त कर लेते थे और कर्मचारियों का कम वेतन और अन्य तमाम सुविधाएं न देकर उनका शोषण करते थे। जैसे सस्ती दर पर पॉश कालोनी की करोड़ों की जमीन को टोकन मनी में लेने सहित अन्य सरकारी सुविधाएं प्राप्त करते थे। पीएम सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ के विदेश यात्रा में मीडिया डेलीगेट्स में रूप में समाचार पत्र के मालिक और संपादक विदेशों का मुफ्त में सैर करते थे। वहीं फील्ड पर दिन-रात काम करने वाले पत्रकारों को इस तरह की सुविधाओं से वंचित रखे जाते थे। इसी तरह की सुविधाओं पर रोक लगाने एवं पत्रकारों को भी सम्मानजनक वेतनमान देने माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सभी कर्मचारियों के लिए मजीठिया वेजबोर्ड वेतनमान की अनुशंसा की है।

मजीठिया वेजबोर्ड के लिए संघर्ष
पत्रिका से निकाले गए कर्मचारियों ने कहा कि वे मजीठिया वेजबोर्ड वेतनमान की मांग को लेकर अंतिम दम तक लड़ाई लडेंगे। कर्मचारियों ने कहा कि मामला सहायक श्रम आयुक्त के बाद श्रम आयुक्त रायपुर के यहां जाने के बाद भी लेबर कोर्ट और हाईकोर्ट तक संघर्ष करेंगे और अपना हक लेकर ही रहेंगे।

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