18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा अधिक मास, जानिए क्या है पुरुषोत्तम मास और इसका महत्व

दुर्ग/भिलाई (सीजीआजतक न्यूज). तीन साल में एक बार आने वाला भगवान विष्णु का प्रिय अधिक मास मलमास या पुरुषोत्तम मास इस बार 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा हिन्दू पंचांग के अनुसार मलमास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है वही चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है और यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्रमास आता है। इसी को अधिक मास कहा जाता है। अधिक मास के स्वामी भगवान श्री बिष्णु माने जाते हैं। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं क्योंकि पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही नाम है। दान करने के लिए पुण्य, भजन करने के लिए ये मास सब मासों में उत्तम माना जाता है।

इस मास में ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व

इस मास में ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा पैदल करने का बहुत बड़ा महत्व है, एक अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। मनुष्य 84 लाख योनियों के बंधन से मुक्त हो जाता है। इस मास में ब्रज में लाखों करोड़ों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु ब्रज में आते हैं उन भक्तों के लिए जगह जगह पर भोजन चाय दवा आदि की व्यवस्था भी भक्तों के द्धारा संचालित की जाती है इस का भी बहुत बड़ा पुण्य है जो भक्त पैदल परिक्रमा नहीं कर सकते हैं वो पैदल यात्रियों को भोजन चाय दवा प्रदान करके भी पूरी परिक्रमा का फल प्राप्त कर लेता है।

पुरुषोत्तम मास में करें यह काम, मिलेगा कई गुना पुण्य लाभ
सोलह दिवसीय श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को समाप्त होने के बाद अधिक मास 18 सितंबर से शुरू होगा। इस कारण अब शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होंगे। अधिक मास में नित्य नैमितिक और कार्य तीनों प्रकार के कार्य कर सकते है। अन्य माह में किए गए पूजा-जाप एवं यज्ञ का फल कलियुग में चतुर्थांश ही प्राप्त होता है, किन्तु पुरुषोत्तम मास में कराए गए पूजा, जाप, कथा, यज्ञ आदि का फल शास्त्रों में चतुर्गुणा बताया है।

2001 के बाद 19 वर्ष पश्चात बना संयोग
भगवताचार्य पंडित पवन चौबे ने बताया कि दो आश्विन माह होने से श्राद्ध पक्ष एवं नवरात्र के मध्य 1 माह का अधिक माह होगा। दूसरा आश्विन माह 16 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्र प्रारंभ होंगे। उन्होंने ने बताया की सन् 2001 के बाद 19 वर्ष पश्चात यह संयोग बना है कि आश्विन माह दो है।

अंतिम पक्ष शुद्ध होता
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रारंभ के 15 दिन 1 पक्ष शुद्ध माह फिर 1 माह अधिक मास पूरा होने पर अंतिम पक्ष शुद्ध होता है, इस बार अधिक मास है। इस कारण नवरात्र स्थापना 17 अक्टूबर को आरंभ होगा व 16 अक्टूबर 2020 तक मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।

यज्ञ आदि कार्य सम्पन्न करा सकते
इस माह में शास्त्रानुसार उपवास का उद्यापन करना निषेध कहा गया है। इस माह में गृह प्रवेश, प्रतिष्ठा तथा विवाह भी निषेध है, किन्तु अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते है। इसमें किए गए जाप, यज्ञ, हवन, भागवत-राम कथा का फल चार गुना प्राप्त होता है। अत: यज्ञ आदि कार्य सम्पन्न करा सकते है।

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