विकास दुबे को कैसे मिला था परोल, होगी जांच

कानपुर
‌‌‌‌विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाला जांच आयोग करेगा। शीर्ष अदालत ने बुधवार को यूपी सरकार के उस सुझाव को मंजूरी दे दी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस चौहान और रिटायर्ड डीजीपी केएल गुप्ता को आयोग में रखने की बात कही गई थी। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत जायसवाल पहले से आयोग का हिस्सा हैं। कोर्ट ने तीन सदस्यीय आयोग से दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को रिटायर्ड जस्टिस और रिटायर्ड डीजीपी का नाम सुझाया, जिसे कोर्ट ने मान लिया। मेहता ने कहा कि मुद्दा यह है हिस्ट्रीशीटर का एनकाउंटर हुआ, वह असल है या नहीं। आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि 64 केस पेंडिंग होने के बाद भी विकास परोल पर जेल से बाहर कैसे आ गया?

‘जस्टिस चौहान पर पूरा भरोसा’
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि इस पहलू की जांच होनी चाहिए कि पूरे मामले में राज्य अथॉरिटी की कहां नाकामी रही है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह भी जस्टिस चौहान का नाम कमिटी के लिए सोच रहे थे। याचिकाकर्ता धनश्याम उपाध्याय ने कहा कि जस्टिस चौहान पर उन्हें पूरा भरोसा है।

क्रिमिनल केस की निगरानी नहीं
याचिकाकर्ता ने संजय पारिख ने दलील दी कि यूपी में कई एनकाउंटर हुए हैं। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि मामले की छानबीन जांच आयोग करेगा। अब आप हमें आयोग को निर्देश देने को न कहें। याचिकाकर्ता ने कहा कि एसआईटी का गठन कमिशन ऑफ एन्क्वायर ऐक्ट के तहत नहीं हुआ है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि हम क्रिमिनल केस मॉनिटर भी करें? यह कहते हुए कोर्ट ने मॉनिटरिंग की मांग ठुकरा दी।

2 महीने में जांच पूरी करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को अगले 1 हफ्ते में शुरू करें और आने वाले 2 महीनों में इसे पूरा कर लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यूपी सरकार से ये भी कहा कि वह ये सुनिश्चित करे कि इस तरह की कोई भी घटना भविष्य में ना हो। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता यूपी सरकार की पैरवी कर रहे थे, जिन्होंने सरकार के हलफनामे को अदालत में पेश किया।

यह होगा आयोग का दायरा

  • आयोग का दायरा व्यापक होगा। आयोग आठ पुलिसकर्मियों की हत्या, उसके बाद हुए तमाम एनकाउंटर और विकास दुबे का एनकाउंटर।
  • विकास को परोल देने में अथॉरिटी कहां नाकाम हुई?
  • केंद्र सरकार द्वारा कमिटी को सेक्रेटेरिटयल सहयोग दिया जाएगा।
  • आयोग को एनआईए या फिर कोई और सेंट्रल एजेंसी जरूरत के मुताबिक सहयोग करेगी।
  • आयोग और राज्य सरकार कमिशन ऑफ एन्क्वायरी ऐक्ट के तहत पड़ताल कर दो माह में रिपोर्ट देंगे।

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