‘बड़े होकर सफल महिला बनना और अपनी मां व बहन को कभी मत छोड़ना…’ कोमा में जाने से पहले पत्रकार विक्रम जोशी ने अपनी बेटी आखिरी बात यही बोली थी। वह बेहद दर्द में थे। बुधवार तड़के उनकी मौत हो गई। सोमवार रात जब विक्रम के ऊपर हमला हुआ तो दोनों बेटियां उनके साथ में थीं।
उनकी बड़ी बेटी 9 साल की हैं। वह बताती हैं, ‘जब हम पापा के साथ घर जा रहे थे तो एक शख्स ने उनकी बाइक रोक दी। दूसरे शख्स ने पापा को डंडे से मारा। मैं डर गई थी और छोटी बहन को एक दुकान के पीछे छिपा दिया। जब मैं पापा के पास गई तो एक शख्स ने उन्हें सिर पर गोली मार दी थी। पापा गिर गए। मैं बहुत रोई और लोगों से मदद के लिए गिड़गिड़ाई लेकिन कोई आगे नहीं आया।’
पुलिस ने दर्ज किया छेड़खानी का केस
पत्रकार हत्याकांड में अब तक 9 आरोपी पकड़े गए जबकि एक आरोपी अकाश बिहारी अभी फरार है। गाजियाबाद पुलिस ने रवि, छोटू और उनके दो साथियों के खिलाफ छेड़छाड़ का केस दर्ज किया है। पत्रकार विक्रम जोशी और उनकी बहन ने 16 जुलाई की रात को केस दर्ज कराया था। गाजियाबाद एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि चार लोगों के खिलाफ आईपीसी 354, 323 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग
जोशी के परिवार का कहना है कि अब एफआईआर का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह विक्रम को खो चुके हैं। परिवार ने विजय नगर पुलिस थाने के पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने जोशी की शिकायत पर ऐक्शन नहीं लिया था। जोशी के भाई अनिकेत ने बताया कि हमले वाली रात, आरोपियों ने उन्हें पिस्तौल से धमकी दी थी।
पांच घंटे तक परिजनों ने किया प्रदर्शन
पत्रकार विक्रम जोशी सोमवार को हुए हमले के बाद से कोमा में थे और यशोदा अस्पताल में भर्ती थे। उनकी मौत के बाद परिजनों ने शुरुआत में शव लेने से इनकार कर दिया था और पांच घंटे से भी अधिक समय तक सुबह 6 बजे से लेकर साढ़े 11 बजे तक अस्पताल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
डीएम के आश्वासन पर माना परिवार
डीएम अजय शंकर पांडे ने उन्हें 10 लाख रुपये के मुआवजे, पत्रकार की पत्नी को नौकरी और बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का आश्वासन दिया इसके बाद परिवार शव ले जाने को राजी हुआ। पत्रकार का अंतिम संस्कार दोपहर दो बजे के करीब हुआ। डीएम ने बताया कि मुआवजे की राशि दो दिन में दे दी जाएगी। पत्रकार की पत्नी को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाएगी।
डीएम ने बताया, ‘परिवार को किसी ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है। इलाके के सिटी मैजिस्ट्रेट खुद ही गुरुवार को उनके कागजात लेने घर जाएंगे। हम उन्हें जल्द से जल्द नौकरी देने की कोशिश में हैं। उनके बच्चे जिस भी स्कूल में पढ़ना चाहें, उनका ऐडमिशन वहां कराया जाएगा।’