कोरोना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि देश भर में कोरोना टेस्ट का एक ही रेट होना चाहिए। अदालत ने कहा कि कहीं 2200 रुपये लिए जा रहे हैं तो किसी राज्य में 4500 रुपये चार्ज है। ऐसे में कोरोना टेस्ट का एक रेट होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप अपर रेट तय करें। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना का इलाज करने वाले अस्पतालों के वॉर्ड में सीसीटीवी लगाने को भी कहा है। अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून को कहा था कि कोरोना महामारी में स्थिति बेहद डरावनी और भयावह है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डेड बॉडी के बीच कोरोना पेसेंट इलाज हो रहा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार व दिल्ली के साथ तीन अन्य राज्यों को कोरोना मरीज की मौत के बाद डेड बॉडी के रख रखाव के मामले में नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। कोरोना के मरीजों की मौत के बाद डेड बॉडी के रखरखाव के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए मामले में संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्सपर्ट की टीम को अस्पतालों में विजिट करना चाहिए और अदालत ने कहा कि कोरोना मरीज की मौत के बाद डेड बॉडी के रखरखाव के मामले में जो खामियां हैं उसे दूर किया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील संजय जैन ने कहा कि किसी भी डॉक्टर पर कोई केस नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपको पिछली सुनवाई में कह चुके हैं कि सूचना देने वालों को निशाना न बनाया जाए। अदालत को तब संजय जैन ने बताया कि पहले एक्शन लेने पर विचार किया गया था लेकिन अब उसे वापस ले लिया गया है। कुछ विधायी प्रावधान के उल्लंघन के मामले में सर गंगा राम अस्पताल पर केस दर्ज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेट तय करने केलिए कमिटी होनी चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि अस्पतालों में एक टीम का रेग्युलर इंस्पेक्शन हो औरअस्पतालों में सीसीटीवी लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ शिकायत वापस ले ली गई है। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि वह पता करें कि अंसल ब्रदर्स ने उपहार केस में जुर्माने के तौर पर 60 करोड़ रुपये ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए जो डिपॉजिट किया था उसका क्या हुआ। अदालत ने तमाम राज्यों से मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है और अगली सुनवाई आठ जुलाई तय कर दी है।
जस्टिस अशोक भूषण ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश भर में कोरोना के टेस्ट का एक रेट होना चाहिए। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ राज्यों में 2200 तो कुछ राज्यों में 4500 रेट तय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी जगह एक रेट तय होना चाहिए। इस पर मेहता ने कहा कि ये राज्यों पर छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि राज्य इससे भी कम रेट तय करने पर विचार कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ऊपर का एक रेट तय किजिए और बाकी राज्यों पर छोड़िये । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर में टेस्टिंग का एक रेट होना चाहिए और केंद्र सरकार को इसमें समन्वय स्थापित करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें मरीज और उसके रिलेटिव को कोरोना टेस्ट की पॉजिटिव रिपोर्ट न देने की बात कही थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मरीज और उसके रिश्तेदारों को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट जरूर दिया जाना चाहिए।