हम बात कर रहे हैं इखार एक्सप्रेस यानी मुनफ पटेल () की। वर्ल्ड कप-2011 की विश्व विजेता टीम के सदस्य रहे पटेल अपने गांव में थे तभी कोरोना वायरस की एंट्री हुई। 8 हजार की संख्या वाले गांव में अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह में ही 5 लोग संक्रमित पाए गए। गांव के लोगों को इस महामारी के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी और लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग नियम का पालन करने के लिए मनाना मुश्किल था।
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अप्रैल में ही गांव में थे 5 केस
मुनफ ने यहां से मोर्चा संभाला और उनकी मेहनत ही है कि इस गांव से 5 के बाद कोई नया केस सामने नहीं आया। 38 वर्षीय पटेल बताते हैं, ‘जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो यहां के लोग कोरोना वायरस के बारे में अधिक नहीं जानते थे। अप्रैल में तमिलनाडु से गांव में 5 लोग वापस आए, जो संक्रमित थे। इसके बाद गांव में भय का माहौल था, लोग डरे हुए थे।’
गांव के लोगों को समझाना मुश्किल था, लेकिन मैं कामयाब रहावह बताते हैं, ‘गांव में किसानों को सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करवाना मतलब बाहरी दुनिया की तरह व्यवहार करना था। उन्हें बुरा लगता था, लेकिन मैंने उन्हें समझाना शुरू किया कि इससे वायरस से बचा जा सकता है।’ उन्होंने सभी को मास्क पहनने के लिए भी प्रेरित किया। बता दें कि मनफ गांव के लिए हीरो रहे हैं। ढेरों युवा उन्हें फॉलो करते हैं।
सरपंच ने माना- हीरो हैं मुनफ पटेल
इस बारे में इखार गांव के सरपंच हारून हैंदी बताते हैं, ‘वह मुनफ ही थे, जिन्होंने लोकल पुलिस और हेल्थ ऑफिशल्स के साथ मिलकर काम किया। साथ ही किसानों को समझाया कि अगर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जाए तो वे खेत में काम कर सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि मुनफ रोजाना पंचायत आते थे और घंटों लोगों को जागरूक करते थे।
सरपंच ने बताया कि इस दौरान कई लोगों को बुखार हुआ और वह सेल्फ क्वॉरंटीना होना चाहते थे और टेस्ट से घबराते थे, लेकिन मुनफ के समझाने पर उन लोगों का डर कम हुआ। लोगों ने फिर कोरोना वायरस की जांच करवाई।