भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘ध्रुवस्त्र’ मिसाइल का ओडिशा में डायरेक्ट और टॉप अटैक मोड में सफल टेस्ट किया है। ध्रुवास्त्र ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (Dhruvastra anti-tank guided missile) दरअसल Helicopter-launched Nag Missile (HELINA) वेपन सिस्टम का हिस्सा है। यह मिसाइल सिस्टम DRDO ने डेवलप किया है। इस मिसाइल की रेंज चार किलोमीटर से लेकर सात किलोमीटर तक हो सकती है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की बनाई इस ‘नाग’ मिसाइल दुर्गम जगहों पर दुश्मनों के टैंक को आसानी से उड़ा सकती है। इस मिसाइल सिस्टम में एक से बढ़कर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।
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नाग थर्ड जेनेरेशन की ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। यह इन्फैंट्री और हवा में मौजूद फोर्सेज, दोनों के काम आ सकती है। इसमें एक ऐडवांस्ड पैसिम होमिंग गाइडेंस सिस्टम लगा है जिसके चलते इसे हाई सिंगल-शॉट किल प्रॉबेबिलिटी मिलती है यानी एक ही बार में सटीक वार। यह आधुनिक टैंकों और बड़े हथियारों को आसानी से निशाना बना सकती है।
यह मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से अपने टारगेट को हिट करती है। सटीक इतनी कि खड़े या चलते टारगेट को भी उड़ा दे। HELINA की रेंज 7 किलोमीटर तक हो सकती है। मिसाइल का वॉरहेड 8 किलो का होता है।
HELINA मिसाइल सिस्टम ‘फायर एंड फॉरगेट’ का फंडा अपनाता है। यह मिसाइल डायरेक्ट हिट और टॉप अटैक, दोनों मोड में हमला कर सकती है। दिन हो या रात, मौसम कैसा भी हो, ‘नाग’ मिसाइल कभी भी फायर की जा सकती है। ‘ध्रुवास्त्र’ को वायुसेना के लिए डेवलप किया गया है।
‘नाग’ ऐसी मिसाइल है जिसे जमीन या हवा, कहीं से भी फायर कर सकते हैं। हेलिकॉप्टर वाली मिसाइल को ध्रुव ऐडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) या HAL रूद्र अटैक हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जाता है।
यह मिसाइल प्रोजेक्ट बेहद खास है। रक्षा मंत्रालय ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) शुरू किया था। इसके तहत ‘नाग’ के अलावा अग्नि, आकाश, पृथ्वी और त्रिशूल जैसी घातक मिसाइलें डेवलप की गईं। ‘नाग’ मिसाइल का पहला टेस्ट नवंबर 1990 में किया गया था।