सुपरपावर रूस ने दुनियाभर में जंग जीतने के लिए बेजोड़ हथियार निकाला है। अपने परमाणु हथियारों से पूरी पृथ्वी को कई बार तबाह करने की क्षमता रखने वाला रूस अब दुनिया की सबसे बुद्धिमान मछलियों में शुमार डॉल्फिन के सहारे युद्ध जीतने में लग गया है। सैटलाइट से मिली ताजा तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि रूस ने गृहयुद्ध से जूझ रहे सीरिया में अपनी पनडुब्बियों के साथ प्रशिक्षित डॉल्फिन मछलियों को भी तैनात किया है। आइए जानते हैं, रूस की इस व्हेल फौज के बारे में सबकुछ….
रूस की नौसेना ने अमेरिका के जवाब में 1990 के दशक में मरीन मैमल प्रॉजेक्ट शुरू किया था। रूस के इस प्रॉजेक्ट ने उस समय दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा जब बेलुगा नाम व्हेल मछली अप्रैल 2019 में नार्वे पहुंची। इस व्हेल मछली को हवल्दीमीर नाम दिया गया था। यह व्हेल मछली रूस की नौसेना के ट्रेनिंग प्रोग्राम से बचकर निकली थी। अब रूस ने युद्धग्रस्त सीरिया के पास अपनी डॉल्फिन सेना को तैनात किया है। रूस को डर सता रहा है कि दुश्मन के समुद्र के रास्ते पनडुब्बियों पर हमला कर सकता है।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक सैटलाइट से मिले ताजा साक्ष्यों से पता चला है कि रूसी नौसेना ने प्रशिक्षित डॉल्फिन मछलियों की सेना को वर्ष 2018 के अंत में अपने टार्टस नेवल बेस पर तैनात किया था। इस नेवल बेस पर सीरिया में युद्ध के लिए रूस ने अपनी पनडुब्बियों को तैनात कर रखा है। विशेषज्ञों के मुताबिक डॉल्फिन का इस्तेमाल दुश्मनों के गोताखोरों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है जो युद्धपोत को बंदरगाह के अंदर नुकसान पहुंचा सकते हैं। रूस अपनी पनडुब्बियों की मदद से सीरिया पर मिसाइल हमले कर रहा है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन डॉल्फिन को ऐसे ट्रेंड किया गया है कि वे समुद्र की सतह पर गिरी किसी चीज को ढूढ़ निकाल लाती हैं। साथ ही खुफिया मिशन को अंजाम दे सकती हैं। सीरिया में तैनात डॉल्फिन को क्रीमिया के पास काला सागर में स्थित सेवास्तोपोल अड्डे से भेजा गया है। यह भी संभावना है कि ये सील भी हो सकते है लेकिन ज्यादा संभावना डॉल्फिन की है। रूस ने इन किलर डॉल्फिन मछलियों को सीरिया में क्यों तैनात किया है, इसका अभी पता नहीं चल पाया है।
रूसी नौसेना का एक और मरीन मैमल प्रोग्राम आर्कटिक क्षेत्र में चल रहा है। यहां पर बेलुगा व्हेल मछलियों और सील को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि हवल्दीमीर व्हेल मछली उस समय निकल भागी थी जब कुछ व्हेल मछलियों को ओलेनया गुबा सबमरीन बेस ले जाया जा रहा था। ओलेनया बेस पर ही रूस की जासूसी पनडुब्बियां स्थित हैं। बेलुगा व्हेल मछलियां डॉल्फिन की तुलना में बड़ी और धीमी रफ्तार से चलती हैं। लेकिन ये मछलियां आर्कटिक के बर्फीले पानी में ज्यादा कारगर हैं। घातक सील किसी भी गोताखोर के हमले का करारा जवाब देने में सक्षम हैं। ओलेनया बेस के पास ही रूस ने एक ब्रीडिंग सेंटर बना रखा है जिसमें इन मछलियों को पैदा किया जाता है।
सीरिया में तैनाती के बाद रूस बहुत तेजी से अपने मरीन मैमल प्रॉजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है। बता दें कि रूस के अलावा अमेरिका और ईरान भी बहुत तेजी से मरीन मैमल प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी नौसेना का मरीन मैमल प्रोग्राम वर्ष 1959 में ही शुरू हो गया था। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के प्वाइंट लोमा इलाके में है। यहां पर डॉल्फिन और सी लायन को ट्रेनिंग दी जाती है। अमेरिकी नौसेना की डॉल्फिन सेना समुद्र के अंदर बिछाई गई बारुदी सुरंगों का पता लगा लेती है और उसकी अपने प्रशिक्षक को सूचना देती है।