हवा से भी फैलता कोरोना, CSIR की नसीहत

नई दिल्ली
जानलेवा कोरोना वायरस के हवा से भी फैलने की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पुष्टि के बाद वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने लोगों को बंद जगहों पर भी मास्क पहनने की नसीहत दी है। बता दें कि WHO ने माना है कि संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से निकली छोटी बूंदें (Droplets) देर तक तक हवा में रहती हैं और इससे दूसरो को संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में उन लोगों के लिए बड़ा खतरा है जो N-95 मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। हवा में तैर रहा कोरोना का वायरस सांस के साथ आराम से शरीर में घुस सकता है। केंद्र ने भी N-95 मास्क से वायरस का प्रसार नहीं रुकने की बात कही है।

‘हवा से भी प्रसार संभव, सतर्क रहने की जरूरत’
CSIR के चीफ ने अपने ब्लॉग में इन सभी चिंताओं पर अपनी राय रखी और विभिन्न स्टडी तथा विश्लेषणों के हवाले से लिखा कि जितने भी सबूत निकले हैं उससे पता चलता है कि SARS-CoV-2 का हवा से भी प्रसार संभव है। ऐसे में हम खुद को कैसे सुरक्षित रखें। इसपर मांडे ने लिखा, ‘उत्तर सीधा सा है। भीड़ से बचें, काम करने की जगह खुली हो और सबसे अहम बंद जगहों पर भी मास्क पहने रहें।’

पढ़ें, 239 वैज्ञानिकों ने लिखी थी चिट्ठी
बता दें कि 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने WHO को चिट्ठी लिखकर कोविड-19 के हवा से फैलने की बात कही थी और इस मसले की तरफ ध्यान दिलाया था। मांडे ने कहा कि मास्क पहनना सबसे मजबूत रणनीति है और संभवत: यह सबके लिए अनिवार्य है। इस बहस पर कि क्या कोविड का ट्रांसमिशन हवा से होता है या नहीं, मांडे कहते हैं इस बात पर भी बहस चल रही है कि इन्फेक्टेड जगह भी क्या संक्रमण का स्रोत है? अगर संक्रमण की बात करें तो यह सांसों के जरिए ही हो रहा है।

CSIR बोला, छोटी बूंदें हवा में रहती हैं मौजूद
उन्होंने कहा, ‘यह तो साफ है कि जब लोग छींकते हैं या खांसते हैं तो उससे हवा में बूंदें (Droplets) निकलती हैं। बड़ी बूंदें तो जमीन पर गिर जाती हैं लेकिन छोटी बूदें हवा में देर तक तैरती रहती हैं। किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से निकलने वाली बड़ी बूंदें तो जमीन पर गिरकर जाती हैं और यह ज्यादा दूर तक नहीं जाती हैं। लेकिन छोटी बूंदें लंबे समय तक हवा में मौजूद रहती हैं।’


तो सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके कारगर नही?

शुरू में WHO और अन्य संस्थाओं ने जो सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके बताए थे वो इस तथ्य पर आधारित थे कि कोविड-19 का ट्रांसमिशन मुख्यत: बड़ी बूंदों (Droplets) के कारण होता है, जो भारी होने के कारण सतह पर गिरते हैं। 239 देशों के वैज्ञानिकों ने मेडिकल कम्युनिटी से कोविड-19 के हवा से संक्रमण पर ध्यान देने का आग्रह किया था। वैज्ञानिकों ने खुले पत्र में लिखा था, ‘कोविड-19 वायरस के हवा से फैलने की प्रबल संभावनाएं हैं। हवा में तैरती छोटी बूंदों कई मीटर तक तैरती रहती हैं। हम इसके हवा में फैलने से रोकने के लिए ऐहतियाती कदम उठाने की अपील करते हैं।

केंद्र की N-95 मास्क पर बड़ी चेतावनी
इस बीच, केंद्र ने केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर लोगों के छिद्र वाले (Valved Respirators) एन-95 मास्क (N-95 mask Latest News) पहनने के खिलाफ चेतावनी जारी कर कहा है कि इससे वायरस का प्रसार नहीं रुकता और यह कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के ‘विपरीत’ है। स्वास्थ्य मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक राजीव गर्ग ने राज्यों के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मामलों के प्रधान सचिवों को पत्र लिखकर कहा कि छिद्रयुक्त श्वसनयंत्र लगा एन-95 मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपनाए गए कदमों के विपरीत है क्योंकि यह वायरस को मास्क के बाहर आने से नहीं रोकता।

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