पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति के दो विशेषज्ञ सदस्यों ने इस सड़क को चौड़ा करने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क को 10 मीटर चौड़ा किया जा रहा है। विशेषज्ञों ने इसे ‘हिमालयन ब्लंडर’ कहा है। इस ‘अल्पमत’ राय को मुख्य रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इस पैनल की अध्यक्षता पर्यावरणविद रवि चोपड़ा कर रहे हैं। पैनल ने पर्यावरण, जंगल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
चोपड़ा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह आपत्ति हेमंत ध्यानी और नवीन जुयाल ने दर्ज करवाई थी। उन्होंने सड़क और हाईवे मंत्रालय के उस फैसले पर ऐतराज जताया था जिसमें पूरे प्रोजेक्ट को 53 छोटे प्रोजेक्ट में बांटा गया था ताकि इनवारयमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट (EIA) से बचा जा सके, जबकि सभी पहाड़ियां बहुत करीब-करीब हैं। हर स्ट्रेच 100 किलोमीटर से कम है। MoEFCC के नियमों के अनुसार 100 किलोमीटर से लंबे प्रोजेक्ट के लिए EIA स्टडी जरूरी है।
21 सदस्यीय इस समूह में पांच लोगों, जिनमें चोपड़ा भी शामिल हैं, ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई थी। ये लोग सड़क की चौड़ाई 10 मीटर बढ़ाए जाने के खिलाफ हैं। हालांकि ज्यादातर सदस्य सड़क की चौड़ाई बढ़ाए जाने के पक्ष में हैं। बहुसंख्यक समूह ने भी अपनी अंतिम रिपोर्ट मंत्रालय को दे दी है। इसमें नुकसान को कम करने के रास्ते भी सुझाए गए हैं।
भूविज्ञानी हेमंत जुयाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘हमारी राय ऐतिहासिक डेटा पर आधारित है। ये स्ट्रेच, खास तौर हिमालय के ऊंचे इलाकों में, काफी खतरनाक हैं। हमने कहा है कि पीपलकोटी और पातालगंगा के बीच के रास्ते को बिलकुल भी नहीं छेड़ा जाना चाहिए। हमारे पास सड़क निर्माण और सड़कों को चौड़ा करने के लिए काफी फंड है लेकिन स्लोप मैनेजमेंट के लिए मुश्किल से ही कोई फंड है। जो इन इलाकों में काफी महत्वपूर्ण है।’
उन्होंने आगे कहा कि जहां पहाड़ काटे जा चुके हैं वहां भी सिर्फ 5.5 मीटर की सड़क वाहनों के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए बाकी पर हरियाली और पैदल यात्रियों के लिए रास्ते बनने चाहिए।