भारत चीन तनाव के बीच अमेरिका ने पहली बार अपने 11 न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में से 3 को एक साथ प्रशांत महासागर में तैनात किया है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस और साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए अमेरिका ने यह तैनाती की है। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में चीन ने भी आक्रामकता दिखाते हुए साउथ चाइना सी के ऊपर अपनी टोही उड़ानों को तेज कर दिया है। वहीं, ताइवान को भी चीन ने सीधे तौर पर चेतावनी दी है।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को लेकर कई बार चीन के ऊपर सीधे तौर पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में कोरोना वायरस को चीनी वायरस या वुहान वायरस कह कर भी संबोधित किया था। चीन ने भी इसका पलटवार करते हुए अमेरिका पर कई तरह के आरोप लगाए थे। इन सबके बीच अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती से साउथ चाइना सी में फिर से विवाद गहराने की आशंका है।
अमेरिका ने जिन तीन एयरक्राफ्ट कैरियर को प्रशांत महासागर में तैनात किया है वे यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं। इनमें से यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट फिलीपीन सागर के गुआम के आस पास के इलाके में गश्त कर रहा है। वहीं, यूएसएस निमित्ज वेस्ट कोस्ट इलाके में और यूएसएस रोनाल्ड रीगन जापान के दक्षिण में फिलीपीन सागर तैनात है।
अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद चीन को यह लगने लगा था कि इस दौरान अमेरिका ज्यादा कुछ कर नहीं सकता। उसने अमेरिका की सामरिक शक्ति पर संदेह किया कि कोरोना वायरस से लड़ रहा अमेरिका चीन से भिड़ना नहीं चाहेगा। इसलिए अमेरिकी सेना ने जवाबी कार्रवाई करने के लिए तीन एयरक्राफ्ट कैरियर को एक साथ तैनात किया है।
अमेरिका पहले भी चीन को साउथ चाइना सी में आक्रामक व्यवहार को लेकर चेतावनी दे चुका है। अप्रैल में चीनी युद्धपोतों ने वियतनाम की एक मछली पकड़ने वाली नौका को साउथ चाइना सी में डुबा दिया था। चीन का आरोप था कि यह जहाज उसके इलाके में मछली पकड़ रहा था। बता दें कि इस क्षेत्र में चीन ने कई आर्टिफिशियल आइलैंड का निर्माण कर उसे मिलिट्री स्टेशन के रूप में विकसित किया है।
साउथ चाइना सी में ‘जबरन कब्जा’ तेज कर दिया है। पिछले रविवार को चीन ने साउथ चाइना सी की 80 जगहों का नाम बदल दिया। इनमें से 25 आइलैंड्स और रीफ्स हैं, जबकि बाकी 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्ट्रक्चर हैं। यह चीन का समुद्र के उन हिस्सों पर कब्जे का इशारा है जो 9-डैश लाइन से कवर्ड हैं। यह लाइन इंटरनैशनल लॉ के मुताबिक, गैरकानूनी मानी जाती है। चीन के इस कदम से ना सिर्फ उसके छोटे पड़ोसी देशों, बल्कि भारत और अमेरिका की टेंशन भी बढ़ गई है।
दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के समुद्री इलाके में कई देश अपना दावा करते हैं। चीन इस इलाके में लगातार अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर रहा है। वह फिलीपींस में मूंगे के बने द्वीपों के ऊपर कंक्रीट डाल रहा है और उन्हें रिसर्च स्टेशनों में बदल रहा है। असल में ये हथियारों के लिए लॉन्च प्लेटफॉर्म हैं जहां से विमान और मिसाइल तैनात किए जाएंगे।
चीन अब फिलीपींस से सटे स्कारबोरोघ शोअल द्वीप पर एयर और नेवल बनाने जा रहा है। चीन साउथ चाइना सी में बहुत जल्द ही हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र बनाना चाहता है और इसमें शोअल द्वीप की बड़ी भूमिका होगी। चीन के इस कदम से अमेरिका के साथ उसके रिश्ते और ज्यादा बिगड़ सकते हैं।
दक्षिण चीन सागर एक व्यस्त समुद्री मार्ग है जहां से पूरे साल लाखों करोड़ डॉलर का सामान खासकर तेल गुजरता है। इस क्षेत्र पर अपना दावा मजबूत करने के लिए चीन वहां ज्यादा से ज्यादा जंगी और शोध जहाज भेज रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना जल्द ही दक्षिण चीन सागर में एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बनाने जैसा विवादित कदम उठाने पर विचार कर रही है। चीन जोन के अंदर प्रतास, पार्सेल और स्पार्टले द्वीप समूह को भी शामिल कर रहा है।