भारतीय क्रिकेटर्स संघ () के अध्यक्ष ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड () से संस्था की लंबे समय से की जा रही मांगों पर ध्यान देने का आग्रह किया है। मल्होत्रा ने कहा कि उम्रदराज पूर्व खिलाड़ी हमेशा के लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं। मल्होत्रा पर निदेशकों ने आरोप लगाया था कि वह उनसे सलाह मशविरा किए बिना सार्वजनिक बयान देते हैं और खिलाड़ियों की संस्था से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर बीसीसीआई से बात करते हैं।
आईसीए ने जो मांगे बीसीसीआई के सामने रखी हैं उनमें 25 से कम प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन, पूर्व क्रिकेटरों की विधवाओं के लिए पेंशन, चिकित्सा बीमा 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करना तथा मनोज प्रभाकर को हितकारी निधि का पैसा सौंपना शामिल है।
प्रभाकर पर मैच फिक्सिंग के लिए लगाया गया प्रतिबंध 2005 में समाप्त हो गया था। मल्होत्रा ने कहा कि अब समय आ गया है जबकि बीसीसीआई को उनकी मांगों पर गौर करना चाहिए। मल्होत्रा ने से कहा, ‘लगभग दस महीने ( की अगुवाई वाले बीसीसीआई के पदभार संभालने के बाद) हो गए लेकिन पूर्व खिलाड़ियों के लिए कुछ नहीं किया गया।
आईसीए का गठन पूर्व क्रिकेटरों के कल्याण के लिए किया गया है तथा इनमें से कई 70 साल के हो गए हैं। वे हमेशा इंतजार नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा, ‘मैं बीसीसीआई से फिर से मांगों पर गौर करने का अनुरोध करता हूं। बीसीसीआई शीर्ष परिषद में तीन पूर्व क्रिकेटर (गांगुली तथा आईसीए प्रतिनिधि शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवाड़) शामिल हैं। मुझे विश्वास है कि वे पूर्व क्रिकेटरों की परेशानियों को समझते हैं। चार बैठक (शीर्ष परिषद की) हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया।’
मल्होत्रा के आईसीए सदस्यों को भेज गए नए वीडियो से विवाद पैदा हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें घरेलू क्रिकेट और बिहार क्रिकेट में वर्तमान की प्रशासनिक गड़बड़ियों को लेकर चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैंने केवल इतना कहा था कि उनकी चिंता आईसीए व पूर्व क्रिकेटरों के कल्याण को लेकर है। आईसीए अध्यक्ष होने के नाते यह स्वाभाविक है। पिछले दस महीनों में हमने क्या किया। कोविड-19 से प्रभावित पूर्व क्रिकेटरों के लिए पैसा जुटाने के सिवाए कुछ नहीं किया।’
सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार भारत में पहली बार खिलाड़ियों के संघ आईसीए का गठन किया गया है। उसे इस साल के शुरू में अपने कार्यों के संचालन के लिये बीसीसीआई ने दो करोड़ रुपये का अनुदान दिया था।