भारत को हवा का ‘ब्रह्मास्त्र’ हासिल होने जा रहा है। फ्रांस के घातक लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेप इस हफ्ते भारत पहुंच रही है। खबर है कि चीन से तनातनी को देखते हुए राफेल को लद्दाख सेक्टर में तैनात किया जा सकता है। पहले चार विमान ही आने वाले थे मगर एयरफोर्स की रिक्वेस्ट पर फ्रांस ने छह राफेल 27 जुलाई तक देने को कहा है। लद्दाख में भारत दिन हो या रात, सर्दी हो या बारिश, हर मौसम में हर वक्त हमला करने की क्षमता डेवलप कर रहा है। राफेल इसमें उसका बड़ा हथियार साबित होगा। इस लड़ाकू विमान में Meteor की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल भी लगकर आएगी जिससे बच पाना संभव नहीं। आइए जानते हैं भारत को राफेल लड़ाकू विमान मिलने से चीन-पाकिस्तान के सिर का दर्द क्यों बढ़ जाएगा।
राफेल की अधितकम स्पीड 2222 किमी प्रति घंटा है। भारत आने वाल 6 राफेल विमान पूर्ण रूप से कॉम्बेट रेडी पोजिशन में होंगे। जिन्हें कुछ दिनों के अंदर ही किसी भी ऑपरेशन में लगाया जा सकेगा। विमानों की पहले खेप को हरियाणा के अंबाला में तैनात किया जाएगा।
राफेल को भारतीय वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से बदला गया है। इसमें कोल्ड इंजन स्टार्ट की क्षमता है यानी ठंड का इंजन पर कोई असर नहीं होगा। बफीर्ले पहाड़ों के बीच मौजूद बेस से यह जेट आसानी से ठंड के सीजन में भी उड़ान भर सकता है।
भारत को मिलने वाला राफेल विमान हवा से हवा में मार करने वाली बियांड विजुअल रेंज मिसाइल से लैस होगा। यह मिसाइल दुश्मन के प्लेन को बिना देखे सीधे फायर किया जा सकता है। इसमें एक्टिव रडार सीकर लगा होता है जिससे मिसाइल को किसी भी मौसम में फायर किया जा सकता है। वहीं, स्कैल्प मिसाइल या स्ट्रॉम शैडो किसी भी बंकर को आसानी से तबाह कर सकती है। इसकी रेंज लगभग 560 किमी होती है।
राफेल में बहुत ऊंचाई वाले एयरबेस से भी उड़ान भरने की क्षमता है। चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर ठंडे मौसम में भी विमान तेजी से काम कर सकता है। मिसाइल अटैक का सामना करने के लिए विमान में खास तकनीक का प्रयोग किया गया है। राफेल एक साथ जमीन पर से दुश्मन के हमलों को ध्वस्त करने और आसमान में आक्रमण करने में सक्षम है। जरूरत पड़ने पर परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकता है।
भारत के पास सुखोई-30 MKI जैसा लड़ाकू विमान है जो एयरफोर्स के ऑपरेशंस में जमकर इस्तेमाल होता है। राफेल उससे आला दर्जे का फाइटर जेट है। इसकी वर्किंग कैपेसिटी SU- 30MKI से करीब डेढ़ गुना है। राफेल की रेंज 80 से 1055 किमी तक है जबकि सुखोई की 400 से 550 किमी. तक। राफेल प्रति घंटे 5 सोर्टीज लगा सकता है जबकि सुखोई की क्षमता महज 3 की है।
राफेल के आ जाने से पाकिस्तान और चीन हद में रहेंगे क्योंकि भारत की हवाई पकड़ और मजबूत हो जाएगी। पाकिस्तानी एयरफोर्स अभी अमेरिकन एफ-16 से भारत का मुकाबला करती है। राफेल के लिए उसे कम से कम दो एफ-16 लगाने पड़ जाएंगे। भारत के राफेल का मुकाबला चीन के J-20s से होगा। चीन का J-20 सिंगल-सीट मल्टी रोल फाइटर है जो हवा से हवा, हवा से जमीन में मार करता है। सुपरसोनिक स्पीड से चलने वाले इस लड़ाकू विमाना की रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 2,100 किलोमीटर प्रतिघंटा है जो राफेल से कम है। चीन का दावा है कि इसके पायलट को 360 डिग्री कवरेज मिलती है।
राफेल के अलावा, भारतीय वायुसेना में पिछले कुछ सालों में अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर को भी शामिल किया गया है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, मिग-29, मिग 27, मिग-21 और जगुआर फाइटर प्लेन है जबकि हेलिकॉप्टर श्रेणी में एमआई-25/35, एमआई-26, एमआई-17, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर हैं वहीं ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में सी-130 जे, सी-17 ग्लोबमास्टर, आईएल-76, एए-32 और बोइंग 737 जैसे प्लेन शामिल हैं।