उत्तर प्रदेश का कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची जय वाजपेई के खिलाफ कार्रवाई की फाइल कानपुर के पुलिस दफ्तर में पिछले 2-3 साल से अटकी है। अब पुलिस इस फाइल को निकालकर कार्रवाई के मूड में आ गई है। ईओडब्ल्यू के एएसपी केसी गोस्वामी ने जांच के बाद रिपोर्ट दूसरे विभागों को भेजे जाने की पुष्टि की है।
वकील सौरभ भदौरिया ने 2017-18 में कानपुर के तत्कालीन आईजी आलोक सिंह को शिकायत दी थी कि जय, उसके भाई रजय और कुछ अन्य की आय से ज्यादा संपत्तियां हैं। वहीं,आपराधिक केस के बावजूद इन्हें पासपोर्ट और हथियार के लाइसेंस जारी किए गए हैं। कन्नौज के तत्कालीन एएसपी केसी गोस्वामी ने इसकी जांच कर रिपोर्ट में आरोप सही बताते हुए पासपोर्ट व हथियार लाइसेंस सहित एक दरोगा के आचरण पर भी सवाल उठाए थे।
परिवार के पास 6 लाइसेंस
पड़ताल में सामने आ रहा है कि 60 से ज्यादा एफआईआर होने के बावजूद विकास, उसकी पत्नी, पिता, भाई और उसकी पत्नी, नौकर दयाशंकर को हथियार लाइसेंस जारी किए गए थे। वहीं, हथियारों की बरामदगी के लिए शनिवार को भी गांव के तालाब से पानी निकाला जाता रहा, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।
एनकाउंटर का सीन दोहराया
लखनऊ से आए फरेंसिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में शनिवार को भौंती में प्रभात और सचेंडी में विकास दुबे एनकाउंटर का सीन दोहराया गया। हालांकि, टीम ने विकास एनकाउंटर के पहले गाड़ी पलटने के सीन का पुनर्निर्माण नहीं किया। उधर, तथ्यों की पड़ताल के लिए आईजी अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी एचसी अवस्थी से बिकरू जाने की अनुमति मांगी है। वह 13 जुलाई को पत्नी नूतन ठाकुर के साथ बिकरू जाना चाहते थे, लेकिन डीजीपी ने उन्हें रास्ते से लौटने को कह दिया था।