जून के महीने में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प पर पूरी दुनिया, खाससकर अमेरिका की नजर है। एक ताजा रिपोर्ट में अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि भारत सरकार का मानना है कि लद्दाख की घटना पेइचिंग के बड़े अभियान का हिस्सा है जिसके तहत वह दक्षिण एशिया में अपनी सैन्य और आर्थिक धाक जमाना चाहता है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने भारत सरकार की एक ऐसी विश्लेषक रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है जो अभी प्रकाशित नहीं हुई है।
विस्तारवाद के लिए दबाव का सहारा
US न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी एक्सपर्ट्स का दावा है कि भारत चीन की इस हरकत को उसकी ‘कुटिल और विस्तृत कोशिश’ मान रहा है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का दावा है कि भारत पेइचिंग के रवैये को साम्राज्यवादी मान रहा है। दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है, ‘चीन के विस्तारवाद में सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह दबावपूर्ण कूटनीति का सहारा लिया जा रहा है जिसमें कई देशों की संप्रभुता और अर्थव्यवस्था में घुसपैठ की जा रही है और नुकसान पहुंचाया जा रहा है।’
अमेरिका को भी चीन के मंसूबों पर शक
अमेरिकी एक्सपर्ट्स इस दावे से सहमत हैं और उनका कहना है कि चीन कोरोना वायरस की महामारी का फायदा उठाकर दक्षिण चीन सागर और हॉन्ग-कॉन्ग समेत अपनी सीमा के पास क्षेत्रों पर दावा ठोंक रहा है जिसकी वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कड़े कदम उठाए हैं। अधिकारियों का यह भी मानना है कि चीन को लग रहा है कि उसने सेना तैनात करके भारत की विदेश नीति के पारंपरिक रूप से संतुलित रवैये को बिगाड़ दिया है जिससे भारत का अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर झुकाव हो गया है।
BRI के तहत पाकिस्तान से जुड़ना चाहता है
एक्सपर्ट्स का दावा है कि भारत मान रहा है कि चीन अपने दक्षिणपश्चिम की सीमा पर पहाड़ी इलाके में इसलिए कंट्रोल चाहता है ताकि भारत के ‘मुख्य विरोधी’ पाकिस्तान तक उसी पहुंच आसानी से बढ़ सके। चीन और पाकिस्तान बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर काम कर रहे हैं। चीन चाहता है कि भारत की सेना को हटाकर अक्साई चिन से होते हुए सीधे पाकिस्तान से जुड़ा जा सके क्योंकि ‘भारतीय सेना की वजह से चीन और पाकिस्तान सैन्य और क्षेत्रीय संबंध स्थापित नहीं कर पा रहे हैं और चीन इसे सुरक्षा और निवेश के लिहाज से खतरा मान रहा है।’
और ज्यादा निर्माण करना चाहता है चीन
इसके अलावा अमेरिका के एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भारत को लगता है कि चीन उस क्षेत्र में और ज्यादा ढांचे खड़े करना चाहता है। वह इलाका ऐसा है कि सिर्फ गर्मी के महीनों में वहां से आसानी से निकला जा सकता है। नवंबर तक वहां निर्माण पूरा कर उसकी मदद ली जा सकती है। मैसच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में सिक्यॉरिटी स्टडीज प्रोग्राम के डायरेक्टर टेलर फ्रैवल का कहना है कि यह नए तरीके का टकराव है। अब चीन अलग-अलग जगहों पर ज्यादा सेना तैनात कर रहा है। उनका कहना है कि चीन अब क्षेत्र में ज्यादा लिंक बनाना चाहता है। यहां इलाका ऊबड़-खाबड़ है और कनेक्टिविटी बेकार है। इसलिए चीन ज्यादा निर्माण करना चाहता है।