राजस्थान में अशोक गहलोत और के बीच मची खींचतान के बीच सियासी समीकरण लगातार बदल रहे हैं। इस बीच कांग्रेस के बागी युवा नेता सचिन पायलट के नई पार्टी बनाने की संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं। सचिन पायलट की ओर से अपना एक अलग मंच बनाने के विकल्प की चर्चा शुरू से की जा रही थी लेकिन कांग्रेस की ओर से उनको लेकर नरम रुख अपनाने के संकेत सामने आते रहे। अब राजस्थान के इस सियासी संग्राम में सचिन पायलट के कोर्ट जाने से सुलह की संभावनाएं धुंधली हो रही हैं। इसी के साथ सचिन पायलट के अपनी पार्टी बनाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।
कहा जा रहा है कि सचिन पायलट अपनी अलग पार्टी बनाने की लेकर संभावनाएं टटोल रहे हैं। खबर है कि इसके मद्देनजर उन्होंने अपने कुछ ऐसे सहयोगियों से संकर्प करने की कोशिश की है, जाे या कांग्रेस से अलग हो चुके हैं या फिर पार्टी में हाशिए पर खड़े अपनी अनदेखी से दो-चार हो रहे हैं। दूसरी ओर खबर यह भी है कि पी चिदंबरम जैसे सीनियर सहयोगी सचिन पायलट को सलाह दे रहे हैं कि पार्टी में वापस आकर मुद्दों पर बात करें और सुलझाने की कोशिश करें।
राहुल गांधी की ही यंग टीम को लेकर पार्टी बनाएंगे सचिन पायलट?
कांग्रेस से जुड़े जिन लोगों से संपर्क की चर्चाएं हैं, उनमें मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम से लेकर पूर्व सांसद प्रिया दत्त, पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद का नाम लिया जा रहा है। वहीं, कहा जा रहा है कि पायलट ने हरियाणा के विधायक व पूर्व मंत्री कुलदीप विश्नोई से भी संपर्क हो रहा है। दूसरी ओर जिन नामों की चर्चा है उनमें हरियाणा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा भी हैं। हालांकि, ये दोनों ही अब कांग्रेस में नहीं हैं।
अशोक तंवर जहां हरियाणा चुनावों से पहले कांग्रेस से निकाला गया। वहीं संजय झा के खिलाफ पार्टी ने हाल ही में सख्त कदम उठाते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है। रोचक है कि नई पार्टी के सिलसिले में जितने भी नाम सामने आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर लोग राहुल गांधी की टीम या किसी जमाने में उनकी गुडबुक का हिस्सा रहे हैं।
‘सचिन पायलट भीड़ खींचना जानते हैं’
नाम न छापने की शर्त पर हाशिए पर चल रहे पार्टी के एक नेता का कहना था कि बेशक ऐसा हो सकता है। जितने भी लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, वे अपेक्षाकृत युवा हैं और उनके सामने करियर और उम्र दोनों ही पड़ी है। राजनीति में अगर कोई आता है तो काम करने के लिए आता है। जो फिलहाल कांग्रेस में दिखाई नहीं दे रहा। उक्त नेता का कहना था कि आज जरूरत एक क्रेडिबल चेहरे की है, जो पायलट कहीं न कहीं बन सकते हैं। दूसरा, सचिन पायलट ने अपनी पहचान एक जमीनी नेता की बना ली है, वह भीड़ खींचना जानते हैं। ये चीजें उनसे जुड़ने वालों के लिए अहम फैक्टर बन सकते हैं।
हालांकि, एनबीटी की ओर से जब संजय निरुपम से संपर्क कर उनके नाम की चर्चा को लेकर पूछा गया तो उन्होंने इससे साफ इनकार करते हुए कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। सचिन से उनकी बात हुए भी महीनों हुए होंगे। निरुपम का कहना था कि हम राहुल गांधी के कमान संभालने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही वह सामने आएंगे, हम सब काम पर लग जाएंगे। राजस्थान के घटनाक्रम पर उनका कहना था कि अशोक गहलोत कहते हैं कि पिछले एक डेढ़ साल से पायलट से उनका संवाद नहीं था, यह अफसोसनाक है। इस संवादहीनता को दूर करने की कोशिश क्यों नहीं की गई, यह तो दिल्ली से भेजे लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी चीजों को देखें।
‘राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी बनाना मुश्किल काम’
संजय निरुपम का कहना था कि कांग्रेस से निकलकर पहले भी लोगों ने कोशिशें की हैं लेकिन कुछेक मामलों को छोड़ दें तो कोशिशें ज्यादा कामयाब नहीं हुईं। जहां कामयाबी मिली है, वे सब क्षेत्रीय दल बन कर रहे हैं। इन प्रयासों से राज्यों की आकांक्षाओं को तो पूरा किया जा सकता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर यह संभव नहीं है।