उत्तर प्रदेश के कानपुर के में 2-3 जुलाई को हुए एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। वारदात के दौरान विकास दुबे के घर का रास्ता रोकने के लिए एक जेसीबी का इस्तेमाल किया गया था। शुक्रवार को इस जेसीबी का ड्राइवर राहुल पाल मीडिया के सामने आया। पाल ने वारदात की रात के उस भयावह मंजर के बारे में बताया, जिसमें 8 पुलिसकर्मियों की विकास दुबे और उसके बदमाशों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी।
ड्राइवर ने बताया कि 2 जुलाई की रात जेसीबी को बीच रास्ते में खड़ा करने के लिए विकास दुबे ने ही उससे कहा था। उसने बताया कि ऐसा करने के बाद उसे विकास के घर की छत पर कैद कर दिया गया था। इसके बाद काफी देर तक वहां गोलीबारी होती रही। बाद में विकास और उसके बंदूकधारी बदमाश पता नहीं कहा गायब हो गए।
विकास ने मंगवाया था जेसीबी
घटना वाले दिन के बारे में शुरू से बताते हुए पाल ने कहा कि प्रेम प्रकाश नाम का एक शख्स उसके पास आया और कहा कि वह अपनी जेसीबी तुरंत ले चले। राहुल ने जब बताया कि अभी काम खत्म नहीं हुआ है तो प्रेम प्रकाश ने कहा कि अर्जेंट काम है और विकास भैया (विकास दुबे) ने बुलाया है। जल्दी ले चलो। राहुल ने कहा कि जब वह बिकरू गांव पहुंचा तो देखा कि वहां काफी लोग खड़े थे। इसके बाद जहां अक्सर गाड़ी खड़ी करता था, वहीं गाड़ी खड़ी करने लगे।
गाड़ी बीच सड़क खड़ा करने को कहा
पाल ने बताया कि जब वह गाड़ी किनारे लगा रहा था तब विकास ने उससे कहा कि गाड़ी रास्ते में लगा दो। पाल ने बताया, ‘जब मैंने कहा कि रास्ता जाम हो जाएगा तो उसने कहा जितना मैं कह रहा हूं उतना सुनो। ज्यादा बकवास करने का टाइम नहीं है। इसके बाद मैंने गाड़ी रास्ते में लगा दी। गाड़ी लगाकर जब मैं नीचे उतरा तो विकास दुबे ने कहा कि इसी गाड़ी में सो जाओ। तभी वहां मौजूद धीरू नाम के शख्स ने कहा कि नहीं, इसे ले छत पर ले जाकर बंद कर दो।’
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विकास की छत पर कैद रहा राहुल
इसके बाद राहुल को विकास की छत पर बंद कर दिया गया। राहुल ने बताया कि छत पर मैंने देखा कि वहां पर तकरीबन 20-25 लोग खड़े थे, जो बंदूकें लिए हुए थे। ड्राइवर ने वहां मौजूद लोगों में से बिकरू गांव के लोगों की पहचान की और बताया कि मौके पर विकास दुबे के अलावा धीरू, प्रभात मिश्र, अमर दुबे, जिलेदार, अतुल, प्रेम प्रकाश, शिवम, एक और शिवम के अलावा कई नए लोग भी थे।
10-15 मिनट हुआ फायरिंग
राहुल ने बताया कि जब उसे छत पर ले जाया गया, उसके कुछ देर बाद ही वहां फायरिंग शुरू हो गई। कम से कम 10-15 मिनट फायरिंग हुई। बाद में पता चला कि पुलिस पर फायरिंग की जा रही है। जो गोलियां चला रहे थे, वे सब विकास के आदमी थे। फिर कुछ देर बाद उधर से एक आवाज आई और सब शांत हो गया। इसके कुछ देर बाद वहां लाइटें-टॉर्च दिखाई देने लगे। ये लोग (विकास और उसके आदमी) कहां फरार हुए पता नहीं चला।