भारत की मशहूर धावक दुती चंद ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर अपनी कार बिक्री के लिए डाली। इसके बाद काफी विवाद शुरू हो गया। लेकिन ओडिशा सरकार के एक करीबी सूत्र का कहना है, ‘यह उसकी पुरानी आदत है।’ और इतना ही नहीं ‘बदतमीजी की भी कोई हद होती है।’
दुती ने सोशल मीडिया से अपना वह विवादास्पद पोस्ट हटा दिया है लेकिन उस पर ओडिशा सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई। राज्य सरकार के खेल एवं युवा विभाग की ओर से गुरुवार को बयान जारी कर दुती को ट्रेनिंग के लिए अभी तक दी गई आर्थिक मदद के बारे में बताया।
प्रदेश सरकार का दावा- 4.09 करोड़ रुपये दिए
ओडिशा सरकार के खेल एवं युवा मामलों के विभाग के बयान के अनुसार, ‘दुती चंद को राज्य सरकार से (2015 के बाद) मुहैया कराया गया कुल वित्तीय सहयोग 4.09 करोड़ रुपये है।’ बयान के अनुसार, ‘तीन करोड़ एशियाई खेल 2018 में जीते गए पदकों के लिए वित्तीय अनुदान, 2015-19 के दौरान 30 लाख रुपये ट्रेनिंग और वित्तीय सहयोग और तोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों की ट्रेनिंग के लिए दो किस्तों में जारी किए गए 50 लाख रुपये।’
हमारे सहयोगी टाइम्सऑफइंडिया को मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘एशियन गेम्स में गोल्ड मेडलिस्ट हीमा दास (फर्राटा धावक) और स्वप्ना बर्मन (हेप्टाथलीट) को जो रकम को उनकी राज्य सरकारों ने दी है दुती को उससे ज्यादा रकम दी गई है। उन दोनों को सिर्फ 10-10 लाख रुपये दिए गए हैं। उन्होंने कभी फंड की कमी की बात नहीं की।’
सूत्र ने आगे कहा, ‘दुती को दुर्भाग्य से विवाद खड़ा करने की आदत है।’
दूती का यह था जवाब
गुरुवार को सरकार के बयान पर दुती ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया था, ‘मैं इतने साल तक सहयोग करने के लिए ओडिशा सरकार की ऋणी हूं, लेकिन यह चार करोड़ रुपये सही चीज नहीं बता रहा है। हर कोई सोचना शुरू कर देगा कि दुती ने इतनी राशि खर्च की है।’
उन्होंने कहा था, ‘तीन करोड़ वो पुरस्कार राशि है जो ओडिशा सरकार ने मुझे 2018 एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीतने के लिए दी थी। यह उसी तरह है जिस तरह पीवी सिंधु या किसी अन्य पदक विजेता को राज्य सरकार जैसे हरियाणा या पंजाब से मिलती है। इसे ट्रेनिंग के लिए वित्तीय सहायता के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।’
लेकिन ओडिशा के ज्यादातर खेल अधिकारियों का अलग तर्क है। वे कहते हैं, ‘आखिर दुती उस रकम में कुछ पैसा अपनी ट्रेनिंग पर खर्च क्यों नहीं कर सकती बजाय कि अपनी लग्जरी पर खर्च करने के।’
सूत्र ने आगे कहा, ‘एक ओर आप अहसानमंद हैं। फिर गैरजरूरी विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है? आपको तीन करोड़ रुपये मिले, आप उसे अपनी ट्रेनिंग मे खर्च कर सकती थीं। किसने आपको बीएमडब्ल्यू कार खरीदने के लिए कहा था? इसके अलावा आप खुद को KIIT यूनिवर्सटी का स्टूडेंट बताती हैं, उसने भी आपको अच्छी-खासी रकम दी है।’
ओएमसी की कर्मचारी हैं दुती
ओडिशा सरकार ने यह भी कहा कि उसने दुती को ओडिशा खनन कारपोरेशन (ओएमसी) में ग्रुप ए स्तर का अधिकारी नियुक्त किया जिससे उसे अपनी ट्रेनिंग और वित्तीय प्रोत्साहन के लिए 29 लाख रुपये की राशि मिली। हालांकि दुती का इस पर कहना था, दुती ने सरकार के इस दावे पर भी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि इस राशि में उसका वेतन भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘इस 29 लाख रुपये में मेरा वेतन भी शामिल है और मुझे नहीं पता कि यह ट्रेनिंग सहयोग के लिए कैसे है। मैं ओएमसी की कर्मचारी हूं और मुझे मेरा वेतन मिलेगा। मुझे यह पता करना होगा।’
पहले भी खड़ा कर चुकी हैं विवाद
सूत्र ने कहा, ‘कुछ साल पहले दुती ने बयान दिया था कि मेरे पास जूते खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं, और तब था जब सीएम ने हाल ही में किसी आयोजन में उन्हें 5 लाख रुपये दिए थे।’
सूत्र ने आगे बताया, ‘मुझे लगता है कि अब चीजों को सही तरीके से रखे जाने की जरूरत है। इसलिए ओडिशा सरकार ने मदद के लिए जारी रकम की लिस्ट जारी की है। हर चीज की एक हद होती है। आप कब तक बदतमीजी बर्दाश्त करोगे?’
सूत्र ने कहा, ‘दुती कहती हैं मैंने फेसबुक पर डाला था ताकि मुझे कार के लिए और खरीदार मिल जाएं। क्या फेसबुक कार बेचने की जगह है? आदत वही है, ध्यान आकर्षित करना और विवाद पैदा करना।’
दुती ने अभी तोक्यो ओलिंपिक के 100 मीटर और 200 मीटर के लिए क्वॉलिफाइ नहीं किया है।