भिलाई. अनुदान प्राप्त प्रोफेसरों के जबरन रिटायरमेंट मामले में आखिरकार भिलाई महिला महाविद्यालय (Bhilai Mahila mahavidyalay) प्रबंधन बैकफुट पर आ गया है। प्रबंधन ने 60 वर्ष में रिटायरमेंट की आयु बताकर जिन अनुदान प्राप्त सात प्रोफेसरों को जबरन रिटायर किया था, उसके रिटायरमेंट आदेश पर रोक लगा दी है।
उच्च शिक्षा विभाग में मामला जाने के बाद विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया कि इन प्रोफेसरों की सेवाएं अभी बाकी है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि रिटायर करने के लिए आयु सीमा अनुदान प्राप्त प्रोफेसरों के लिए 65 वर्ष हैं, न की 60 या 62।
बता दें कि कॉलेज प्रबंधन ने सबसे पहले एक अनुदान प्राप्त प्रोफेसर को हटाया। जबकि दो दिन बाद 6 और प्रोफेसरों को जबरन रिटायरमेंट का नोटिस थमा दी थी। प्रबंधन के गलत रवैए की शिकायत उक्त प्रोफेसर्स ने उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) से की। इसके बाद विभाग को सर्कुलर जारी कर रिटायरमेंट की सही आयु को स्पष्ट करना पड़ा। अब यह आदेश सभी 7 अनुदान प्राप्त प्रोफेसरों पर लागू होगा। सभी 65 साल की आयु पूरी करने के बाद ही रिटायर होंगे।
यह लिखा है सर्कुलर में
साल 2012 में वित्त एवं योजना विभाग ने रिटायरमेंट आदेश में संशोधन कराया। इसके अनुसार रिटायरमेंट की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई है। ये बदलाव राज्य सरकारी महाविद्यालयों के साथ-साथ राज्य शासन से अनुदान प्राप्त सभी महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की अधिवार्षिकी आयु के लिए लागू होगा।
इनके रिटायरमेंट आदेश पर लगी रोक
- डॉ. अनीता नरुला
- डॉ. सुनीता जी राव
- डॉ. स्वर्णलता वर्मा
- डॉ. संध्या मदन मोहन
- डॉ. नीशा शुक्ला
- डॉ. ज्योति बाला चौबे
- डॉ. मधुलिका श्रीवास्तव
आदेश वापस ले लिया गया
सुरेंद्र गुप्ता, सचिव, भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट (Bhilai Education Trust) ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग ने सर्कुलर जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अनुदान प्राप्त प्रोफेसरों का रिटायरमेंट 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद ही होगा। मैनेजमेंट की ओर दिया आदेश वापस ले लिया गया है। इनके रिटायरमेंट आदेश को निरस्त कर दिया है। सभी सात प्रोफेसर पहले की तरह काम करेंगे।