फ्रीस्टाइल कुश्ती में भारतीय महिला कुश्ती टीम के कोच एंड्रयू कुक को अनौपचारिक रूप से हटाने के बाद अब भारत के दिग्गज के पर्सनल कोच शैको बेंटिन्डिस की बारी है। शैको बेंटिन्डिस को रेसलिंग फेडरेशनल ऑफ इंडिया (WFI) की नई सूचना के अब यह तय करना है कि भारत की नौकरी को चुनें या फिर अपनी सैलरी को।
कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते शैको अभी तक जॉर्जिया में अपने घर से वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे और वह बजरंग को अपने घर से ही ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन करा रहे थे। WFI ने 44 वर्षीय इस कोच को यह बता दिया है कि उन्हें एक और सैलरी कट के लिए तैयार रहना होगा।
शैको का लॉकडाउन से पहले भारतीय रेसलिंग फेडरेशन के साथ करार हुआ था। तब उनकी सैलरी करीब 6000 डॉलर यानी करीब साढ़े चार रुपये तय की गई थी। मार्च में वह वापस अपने वतन जॉर्जिया लौट गए। क्योंकि तब भारत में कोविड- 19 के चलते सोनीपत और लखनऊ में आयोजित हो रहे रेसलिंग कैंप को स्थगित कर दिया गया था।
बता दें शैको बजरंग के पर्सनल कोच होते हुए भी WFI के पे-रोल पर हैं और उनकी सैलरी फेडरेशन के मुख्य स्पॉन्सर टाटा मोटर्स से आती है।
लॉकडाउन के पहले दो महीनो में शैको को वर्क फ्रॉम होम (WFM) सेवा के लिए पूरी सैलरी मिली थी। इसके बाद फेडरेशन ने उनकी सैलरी में 30 फीसदी कटौती की बात कही, जिसे उन्होंने न चाहते हुए भी मान लिया। लेकिन अब WFI चाहता है कि उनकी सैलरी में और कटौती की जरूरत है। फेडरेशन के मुताबिक टाटा मोटर्स इस बात से खुश नहीं है कि उन्हें ऑनलाइन क्लास के लिए तीन लाख रुपये प्रतिमाह से ज्यादा का भुगतान किया जा रहा है।
अब WFI शैको की सैलरी में और 20 फीसदी की कटौती चाहता है, जो उनकी पहली तय सैलरी की आधी (करीब 3000 डॉलर) हो जाएगी। अगर जॉर्जिया के यह कोच इस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर देते हैं तो फिर उनकी यह जॉब जाने का खतरा होगा।