जानिए, पैंगोंग में ऐसा क्या कि अड़ा है चीन

India-China tesnsion at east Ladakh: पैंगोंग सो और देपसांग में चीन पुरानी स्थिति में लौटने को तैयार नहीं हो रहा। असली पेच इन्हीं दो इलाकों को लेकर फंसा है। दोनों पक्षों में अब तक की बातचीत में इसे लेकर गतिरोध अभी तक नहीं टूट पाया है। इसे लेकर नई दिल्ली और पेइचिंग में भी शीर्ष स्तर पर मंथन हो रहा है। आइए समझते हैं कि तनाव वाले पूर्वी लद्दाख में LAC पर फिलहाल क्या स्थिति है, किन जगहों पर प्रगति हुई है और कहां पर गतिरोध अभी भी बना हुआ है।

मंगलवार को दोनों देशों के बीच चुशुल में कोर कमांडर स्तर की चौथी बातचीत हुई जो 15 घंटे से ज्यादा चली। इस स्तर की पिछले 3 राउंड की बातचीत भी काफी लंबी चली थी और इसकी वजह है पैंगोंग सो और देपसांग में चीनी पक्ष का पीछे न हटना। चीन की इस चालबाजी से डिसइंगेंजमेंट और तनाव कम करने की प्रक्रिया उलझ गई है। भारत ने दो टूक कह दिया है चीनी सैनिकों को इन इलाकों में भी पुरानी स्थिति में लौटना ही होगा।

पैंगोंग सो एरिया में चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लंबे वक्त से भारतीय इलाके में 8 किलोमीटर तक घुसी हुई है। भारत चाहता है कि पैंगोंग सो झील के उत्तरी इलाके में तैनात PLA के 3 हजार से ज्यादा सैनिक अपनी पुरानी स्थिति यानी सिरिजप-1 और 2 में लौट जाएं। कई राउंड की बातचीत में भी चीन इस पर राजी नहीं हुआ है।

पैंगोंग सो एरिया में चीनी सैनिकों ने फिलहाल फिंगर 4 से पीछे हटकर फिंगर 5 पर जमावड़ा किया है। दूसरी तरफ भारतीय सैनिक भी फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच में धन सिंह थापा पोस्ट की तरफ पीछे हटे हैं। इस इलाके में भारत परंपरागत तौर पर फिंगर 8 तक पट्रोलिंग करता आया है जबकि चीन के सैनिक इस फिंगर से पीछे पट्रोलिंग करते थे। मई में चीन के सैनिक सैन्य साजोसामान के साथ भारतीय इलाके फिंगर 8, फिंगर 7, फिंगर 6 , फिंगर 5 से बढ़ते हुए फिंगर 4 तक चले आए। इसी बात को लेकर मई महीने में फिंगर 4 एरिया में दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्कामुक्की भी हुई थी। अभी चीनी सैनिक फिंगर 4 से पीछे हटकर फिंगर 5 पर जमे हुए हैं जबकि उन्हें फिंगर 8 से पीछे जाना है।

पैंगोंग सो एरिया की तरह ही देपसांग में भी गतिरोध बना हुआ है। यहां चीनी सैनिकों ने पट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 पर भारतीय सेना की पट्रोलिंग को रोकना जारी रखा है। इन चारों पॉइंट्स पर इंडियन आर्मी परंपरागत तौर पर पट्रोलिंग करती आई है। गलवान के उत्तर में स्थित देपसांग रणनीतिक तौर पर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि यह काराकोरम दर्रे से सटे रणनीतिक तौर पर अहम दौलत बेग ओल्डी पर भारत के पोस्ट के करीब है।

पिछले महीने जिस गलवान इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, वहां अब दोनों ही पक्ष पीछे हट चुके हैं। एलएसी पर गलवान घाटी के अलावा हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा में दोनों ही देशों के सैनिक पीछे हटे हैं और तनाव कम करने के लिए अस्थायी तौर पर यहां नो-पट्रोलिंग जोन पर सहमति बनी है।

भारत की तरफ से साफ किया गया है कि चीनी सैनिकों को पुरानी स्थिति में लौटना होगा यानी उन्हें फिंगर-8 के पीछे जाना होगा। एलएसी के दोनों तरफ हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। साथ ही युद्ध स्तर पर तोप, टैंक, मिसाइल के साथ ही फाइटर जेट और दूसरे सैन्य साजो सामान तैनात हैं। इन सबको पीछे करने की टाइमलाइन पर बात हुई। एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि फेज-वन में दोनों देशों के सैनिकों को बस आमने सामने से हटाकर एक बफर जोन बनाना था लेकिन अब फेज- 2 की प्रक्रिया काफी मुश्किल है। इसमें कई महीने लग सकते हैं।

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