हाल ही में दुनिया के महान बल्लेबाज () ने को डीआरएस पर LBW डिसीजन में कुछ बदलाव करने की सलाह दी थी। सचिन का मानना था कि जब हम तकनीक को अपना रहे हैं तो फिर इसमें 50 फीसदी गेंद के स्टंप को हिट करने वाले नियम से हटना चाहिए। अगर कैमरा में दिख रहा है कि गेंद स्टंप को छू रही है तो फिर वह 50 फीसदी हो या 5 फीसदी कोई फर्क नहीं पड़ता। बल्लेबाज को आउट ही दिया जाना चाहिए। टीम इंडिया को पूर्व ओपनर () सचिन की इस बात से सहमत नहीं हैं।
सचिन ने टेनिस का उदाहरण देते हुए कहा था कि जब आप यहां कैमरे का इस्तेमाल करते हैं, तो सिर्फ इन ऐंड आउट (अंदर या बाहर) देखते हैं। फिर क्रिकेट में भी आउट या नॉटआउट का फैसला होना चाहिए। इसमें अंपायर्स कॉल का कोई मतलब नहीं बनता। सचिन ने आईसीसी को यह सुझाव हाल ही में वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा से अपने 100एमबी ऐप पर ऑनलाइन चैट के दौरान दिया था।
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सचिन की इस बात असहमती जताते हुए आकाश चोपड़ा ने कहा कि दूसरे खेलों में जैसे- टेनिस, फुटबॉल या बैडमिंटन में हम ब्लैक ऐंड वाइट करके अपनी आंखों से सही परिणाम देखते हैं कि या दो गेंद या शटल लाइन के अंदर आ रही है या फिर बाहर। लेकिन LBW के दौरान गेंद पर पैड पर लगकर कहीं और निकल जाती है और पैड से स्टंप का अंदाजा ट्रैजेक्टरी पर लगाया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह संभावनाओं पर आधारित होता है, जिसमें गेंद की स्विंग, स्पिन, उछाल, स्पीड आदी के आधार पर सही निर्णय के करीब पहुंचने की कोशिश की जाती है। ऐसे में अंपायर्स कॉल को हटाना सही नहीं है। आकाश चोपड़ा अपने यूट्यूब चैनल आकाशवाणी पर इस विषय पर बात कर रहे थे।
चोपड़ा ने कहा कि अगर हम इन तकनीक को डिवेलप करने वाली कंपनियों से भी बात करें, तो उनका कहना है कि वह 100 फीसदी सटीकता की बात नहीं करते। लेकिन उनका दावा है कि जब गेंद 50 फीसदी से ज्यादा स्टंप को छू रही होगी या मिस कर रही होगी तब यह बात निश्चित है कि छूने पर गेंद स्टंप पर निश्चित ही लगती और मिस करने पर निश्चित ही मिस करती। चोपड़ा ने कहा कि ऐसे में सचिन पा जी की सलाह को अपनाना मुश्किल है।