ने आज कहा कि कोरोना काल ने वर्क कल्चर और नेचर ऑफ जॉब बदलकर रख दिया है और युवा इसके मुताबिक खुद को तेजी से ढाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के युवाओं की सबसे बड़ी ताकत स्किल ही है। उनमें इसे हासिल करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में बिजनेस और व्यापार तेजी से बदल रहा है। विभिन्न सेक्टरों में लाखों स्किल्ड लोगों की जरूरत है। देश के युवाओं को इसके लिए तैयार करने की जरूरत है और की यही कोशिश है। मोदी ने और स्किल इंडिया मिशन की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधन अपने संबोधन में यह बात कही।
मोदी ने कहा कि तेजी से बदल रही इस दुनिया में स्किल, रिस्किल और अपस्किल ही प्रासंगिक रहने का मंत्र है। इस मंत्र को जानना, समझना और इसका पालन करना अहम है। स्किल की ताकत इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है। इंसान में हर उम्र में कुछ सीखने की ललक होनी चाहिए। सफल व्यक्ति की निशानी यही है कि वह अपने स्किल को माजने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। बल्कि हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है। अगर आपमें नया सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। ऐसा व्यक्ति ने केवल अपने लिए बोझ बन जाता है बल्कि स्वजनों के लिए भी बोझ बन जाता है।
स्किल से बना रहता है उत्साहप्रधानमंत्री ने कहा कि नया सीखने की ललक इंसान में उत्साह बना रहता है। यह केवल रोजीरोटी कमाने का जरिया नहीं है। जीवन में उत्साह और उमंग चाहिए तो उसके लिए स्किल ऊर्जा का काम करती है। किसी भी उम्र में स्किल के प्रति उत्साह कम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्किल आपके काम को ही नहीं बल्कि आपकी प्रतिभा को, प्रभाव को प्रेरक बना देती है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद स्किल इंडिया अभियान की शुरुआत की गई थी। यह भारत सरकार की एक पहल है जो देश के युवाओं को स्किल सेट के साथ सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई है, जो उन्हें अपने काम के माहौल में अधिक रोजगारपरक और अधिक उत्पादक बनाते हैं। स्किल इंडिया कई क्षेत्रों में पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है जो राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क) के तहत उद्योग और सरकार दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त मानकों से जुड़े होते हैं। यह विशेष पाठ्यक्रम एक व्यक्ति को काम के व्यावहारिक वितरण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद प्रदान करता है, साथ ही उसे अपनी तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ाने में भी मदद करता है ताकि वह अपनी नौकरी के पहले दिन के लिए तैयार हो और कंपनियों को उसे अपने नौकरी प्रोफाइल के लिए प्रशिक्षण में निवेश नहीं करना पड़े।