राजस्थान में कांग्रेस के भीतर मचे सियासी महाभारत (Political drama of Rajasthan) में सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चक्रव्यूह में कुछ ऐसे फंसे कि उन्हें डेप्युटी सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से भी अपमानजनक विदाई झेलनी पड़ी। अब वह सियासी दोराहे पर खड़े हैं- अपमान का घूंट पी पार्टी में बने रहें या फिर अलग राह पकड़ें। कांग्रेस आलाकमान ने अब साफ कर दिया है कि पायलट जल्द से जल्द ‘रास्ते’ पर आ जाएं नहीं तो उनको और उनके समर्थकों को विधानसभा की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ सकता है। जाहिर है, गहलोत बनाम पायलट के बीच छिड़ी ये राजनीतिक लड़ाई में अब कानूनी दांवपेच की एंट्री भी होने वाली है।
पायलट और 18 विधायकों को कांग्रेस ने भेजा नोटिस
पायलट, उनके 2 समर्थक मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी, समर्थक पदाधिकारियों को पद से हटाने के बाद कांग्रेस ने अब उनकी सदस्यता खत्म करने की कार्यवाही शुरू कर दी है। यह भी पायलट कैंप पर दबाव और बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। पायलट समेत 19 विधायकों को विधानसभा सचिवालय ने कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें क्यों पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया जाए। असंतुष्ट विधायकों को नोटिस का जवाब देने के लिए 17 जुलाई यानी शुक्रवार तक का वक्त दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि अगर 2 दिनों के भीतर संबंधित विधायकों ने जवाब नहीं दिया तो माना जाएगा कि वे कांग्रेस विधायक दल की अपनी सदस्यता को वापस ले रहे हैं।
नोटिस पर पायलट ले रहे कानून सलाह
विधानसभा सचिवालय से नोटिस मिलने के बाद सचिन पायलट कानून विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि वह जल्द ही अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक कर नोटिस को लेकर चर्चा करेंगे। बैठक में वह अपने अगले कदम की रणनीति तय करेंगे, जिसमें कानूनी लड़ाई का रास्ता भी शामिल है। दरअसल, दलबदल कानून के तहत अगर कोई विधायक या सांसद अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ता है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। इसके अलावा अगर किसी ने पार्टी विप का उल्लंघन किया तब भी उसकी विधायकी/सांसदी जा सकती है।
कांग्रेस ने शुरू की बागियों को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही
मंगलवार को पायलट के खिलाफ कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी के यहां पिटिशन दाखिल की। इस पिटिशन को कांग्रेस के मुख्य सचेतक डॉक्टर महेश जोशी ने डाली है।
मंगलवार को ही तैयार हो गया था अयोग्यता याचिका का मसौदा
अब पायलट कैंप को 2 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देना होगा। अगर उन्होंने जवाब नहीं दिया तो उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की कार्यवाही शुरू हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, अयोग्यता याचिका के मसौदे को मंगलवार सुबह ही तैयार कर लिया गया था। ऐसे में इस मामले में कानूनी दांवपेच का दौर भी शुरू हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक गहलोत, रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन ने कानूनी पहलुओं को लेकर कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कई राउंड की बातचीत की। पार्टी कानूनी लड़ाई के लिए भी अपना प्लान तैयार कर रही है।
CLP मीटिंग में हिस्सा न लेना जा सकता है खिलाफ
कांग्रेस अगर यह साबित कर दे कि पायलट और उनके समर्थक विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं तो उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने का यह पुख्ता आधार हो सकता है। विप जारी होने के बावजूद कांग्रेस विधायक दल की बैठक में असंतुष्ट विधायकों की नामौजूदगी उनके खिलाफ जा सकती है। हालांकि, राजस्थान बीजेपी के नेताओं ने विप के औचित्य पर ही सवाल उठाया है। उनका कहना है कि विप सिर्फ सदन की कार्यवाही के लिए जारी किया जा सकता है, पार्टी की बैठकों के लिए नहीं। लिहाजा विप उल्लंघन जैसी कोई बात ही नहीं है। अगर पायलट कैंप का बागी तेवर बरकरार रहता है तो बहुत मुमकिन है कि अयोग्यता का मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे।