डिप्रेशन में थे फ्रेडी दारूवाला, बोले- 'हॉलिडे' करने के बाद बेच दी थी मोटरसाइकल

बॉलिवुड में इस समय अपनी फिल्मों के कारण एक पहचान बना चुके हैं। उन्होंने ‘हॉलिडे’, ‘फोर्स 2’, ‘कमांडो 2’ और ‘रेस 3’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन काम कर अपनी पहचान बनाई है। पिछली बार फ्रेडी गुजराती फिल्म ‘सूर्यांश’ में दिखाई दिए थे। पिछले महीने के निधन के बाद फिल्म इंडस्ट्री में और पर खुलकर बात हो रही है। हाल में ईटाइम्स से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में फ्रेडी ने इस मुद्दे पर चर्चा की।

‘हर जगह है नेपोटिजम’
नेपोटिजम के मुद्दे पर बात करते हुए फ्रेडी ने कहा, ‘हमें सबसे पहले समझना होगा कि नेपोटिजम और डिप्रेशन दो अलग मुद्दे हैं। हालांकि नेपोटिजम भी डिप्रेशन का एक कारण हो सकता है लेकिन ये दोनों एक नहीं हैं। आजकल नेपोटिजम हर क्षेत्र में होता है चाहे वह पॉलिटिक्स हो, खेल हो, हॉलिवुड हो या बॉलिवुड। यहां एक बिजनसमैन का काम उसका बेटा ही बड़ा होकर संभालता है। इसी तरह गुजराती सिनेमा में भी नेपोटिजम है। मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता है। यह पहले से है और हमें इससे डील करना सीखकर अपनी खुद की पहचान बनानी होगी।’

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‘कई बार फेस करना पड़ा नेपोटिजम’
अपने खुद के एक्सपीरियंस के बारे में बात करते हुए फ्रेडी ने कहा, ‘मुझे भी नेपोटिजम कई बार फेस करना पड़ा है। इस इंडस्ट्री में हमें एक रोल करना है, या तो आप उसे कर लीजिए वरना कोई और उसे करेगा। अगर आपको वह रोल नहीं मिलता है तो आप काफी निराश हो जाते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह रोल आपके लिए ही बना था। इसलिए जब मैं नेपोटिजम का शिकार हुआ तो मैं पॉजिटिव बना रहा और खुद से कहा कि शायद यह रोल मेरे लिए बना ही नहीं था।’

‘सब कुछ ऑडियंस के हाथ में’
आगे बात करते हुए फ्रेडी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि लोगों को नए टैलंट के लिए काफी ईमानदार होना चाहिए और उनमें विश्वास जताना चाहिए। फिल्म इंडस्ट्री में ऐक्टर्स का चुनाव ज्यादातर प्रड्यूसर्स और डायरेक्टर्स करते हैं लेकिन सभी को यहां अपने मन की बात रखने का अधिकार है। यहां ऑडियंस का फैसला आखिरी रहता है, कोई उन्हें जबरन फिल्म नहीं दिखा सकता है। उदाहरण के लिए आदित्य चोपड़ा इस समय बॉलिवुड के सबसे बड़े प्रड्यूसर्स में से एक हैं फिर भी उदय चोपड़ा ऐक्टिंग में अपनी जगह नहीं बना सके। इसलिए यहां चीजें केवल नेपोटिजम से नहीं चल रही हैं। यहां सब कुछ ऑडियंस के हाथ में है और वही स्टार्स बनाते हैं।’

‘सुशांत के जाने के बाद कई लोग डिप्रेशन में’
डिप्रेशन पर बात करते हुए फ्रेडी ने कहा, ‘सुशांत के जाने के बाद मेरे कई दोस्त डिप्रेशन में हैं, अब लोग इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि जहां हम लोगों को मजबूत होना सिखाते हैं लेकिन खुद ही इसे झेल रहे होते हैं। यह सोच की बात है जो आपके दिमाग में एक केमिकल इंबैलेंस बना देता है। शायद इसीलिए सायकायट्रिस्ट दवाओं के जरिए लोगों को खुश रखने की कोशिश करते हैं। सामान्य लोगों की तरह ऐक्टर्स भी इसका शिकार हो सकते हैं। हमें सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।’

‘मैं भी डिप्रेशन में था और अपनी मोटरसाइकल बेच दी थी’
डिप्रेशन पर अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए फ्रेडी ने कहा, ‘मैं कई बार निराश हुआ हूं और सब कुछ छोड़ देना चाहता था। फिल्म ‘हॉलिडे’ करने के बाद भी मैं डिप्रेशन में था और यहां तक कि मैंने अपनी मोटरसाइकल तक बेच दी थी, तब भी मुझे मजबूत बने रहना पड़ा। जब भी मैं सब कुछ छोड़ने के बारे में सोचता हूं तभी यह भी सोचता हूं कि आखिर मैं यहां आया क्यों था। अगर आपको अपने काम के प्रति जुनून है तो आपको इसे छोड़ना नहीं चाहिए। मुझे ऐक्टिंग से प्यार है और इसीलिए आज मैं यहां पर हूं। हम अगर अपने काम से प्यार करेंगे तो हमेशा खुश रहेंगे।’

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