के तहखाने (कल्लरा बी) को खोला जाए या नहीं इसका फैसला ने ऐडमिनिस्ट्रेटिव व अडवाइजरी कमिटी पर छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों कमिटियों के गठन तक पुरानी कमिटी के काम करते रहने का निर्देश दिया है। इन कमिटियों की जिम्मेदारी तय करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मंदिर की तमाम संपत्तियों को संरक्षित करने की इनकी जिम्मेदारी होगी। मंदिर के तहखाने में बहुमूल्य आभूषण और कीमती खजाना है जिसे खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
अपने 2018 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चार हफ्ते में ऐडमिनिस्ट्रेटिव और अडवाइजरी कमिटी का गठन किया जाए। त्रावणकोर के राजवंश की शक्ति कानून के तहत कमिटी को प्रदान की जाए। ऐडमिनिस्ट्रेटिव कमिटी और अडवाइजरी कमिटी में चेयरपर्सन और मेंबर हिंदू ही होगा। कोर्ट आदेश से बनाई गई अंतरिम कमिटी चार महीने तक काम करती रहेगी।
कमिटी की क्या होगी जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐडमिनिस्ट्रेटिव व अडवाइजरी कमिटी की जिम्मेदारी होगी कि वह मंदिर में तमाम समारोह व पूजा व रखरखाव को देखेगी। कमिटी की जिम्मेदारी होगी कि वह देवता की पूजा कराएगी। जो भक्त आएंगे उनके लिए सहूलियतें सुनिश्चित कराएगी। मंदिर के हित में संपत्ति को सुरक्षित और संरक्षित करेगी।
तमाम रीति रिवाज का पालन होगा
अदालत ने कहा कि मंदिर के तमाम कोष को कमिटी सुरक्षित रखेगी। मंदिर की तमाम संपत्ति को संरक्षित रखा जाएगा। मंदिर में तमाम रीति रिवाज को निभाया जाएगा। मुख्य तांत्री की देखरेख में पूजा अर्चना और रीति रिवाज का पालन होगा। कमिटी की जिम्मेदारी होगी कि वह मंदिर में जो भी चढ़ावा आएगा उसका खर्च भक्तों की सुविधाएं और मंदिर में बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए करेगा। साथ ही चेरिटेलब और धार्मिक कार्यों में अडवाइजरी कमिटी की सलाह पर काम होगा।
25 साल का ऑडिट कराने को कहा गया
मंदिर के पैसे का जो भी निवेश हो वह सेफ होना चाहिए। मंदिर की संपत्ति और अवैध कब्जे को मुक्त कराया जाएगा। जैसा की कोर्ट सलाहकार की सलाह थी उस हिसाब से मंदिर के हिसाब किताब का 25 साल का ऑडिट सीए फर्म द्वारा कराया जाएगा। अडवाइजरी कमिटी मंदिर की चल और अचल संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएगी।
तहखाने खोलने पर कमिटी खुद फैसला ले
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है अपने अंतरिम आदेश में अदालत ने मंदिर के तहखाने को खोलने से मना किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये कमिटी पर निर्भर होगा कि वह तहखाने बी को खोलने पर क्या फैसला लेती है। राज्य सरकार जो सुरक्षा मुहैया करा रही है उसका पेमेंट मंदिर के कोष से होगा।
क्या है पूरा घटनाक्रम
2009 : केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के मैनेजमेंट के मामले में केरल हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी और मैनेजमेंट राज्य सरकार के हाथ में लेने की गुहार लगाई गई थी। पूर्व आईपीएस टीपी सुंदरराजन की याचिका थी।
31 जनवरी 2011: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर का कंट्रोल अपने हाथ में लेने को कहा था। तब शाही परिवार ने तहखाना खोलने का विरोध किया।
2 मई 2011: त्रावणकोर के शासक के भाई की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई।
23 अगस्त 2012: सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर ऐडवोकेट गोपाल सुब्रह्मण्यम को कोर्ट सलाहकार बनाया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
24 अप्रैल 2014: सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज की अगुआई में ऐडमिनिस्ट्रेटिव कमिटी का गठन किया।
जुलाई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने खजाने की सुरक्षा और मंदिर के मरम्मत और कई निर्देश जारी किए।
10 अप्रैल 2019: सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित किया।