देश के कुल 10 राज्यों की 24 राज्यसभा (Rajyasabha) सीटों पर शुक्रवार को वोटिंग होनी है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कुछ बड़े राज्यों की सत्ता पर काबिज कांग्रेस (Congress) के बीच की यह जंग काफी रोचक हो चली है। गुजरात (Gujarat rajyasabha elections) में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे, मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और अन्य विधायकों के बीजेपी (BJP) के पाले में आने से समीकरण तेजी से बदला है। कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा (H D devegowda) समेत चारों उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा चुके हैं। वहीं, आंध्र प्रदेश में भी वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) के चारों सीटें जीतने के पूरे आसार हैं। राजस्थान (Rajasthan rajyasabha elections) में बीजेपी दूसरी सीट के लिए जोर लगा रही है लेकिन वह उसके लिए काफी दूर की कौड़ी दख रही है। नॉर्थ ईस्ट (North east rajyasabha elections) में भी कुल चार सीटों पर चुनाव होना लेकिन ज्यादातर सीटों पर चुनाव के नतीजे लगभग तय ही हैं। इसके अलावा भी कई और राज्यों में बीजेपी ने अतिरिक्त प्रयास करके अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश की है। 24 सीटों पर होने वाले इन चुनावों के बाद सत्ताधारी बीजेपी राज्यसभा (BJP in Rajyasabha) में और मजबूत हो जाएगी। आइए समझते हैं, इन 24 सीटों का पूरा गणित:-
एमपी में कुल तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने दो-दो उम्मीदवार उतारे हैं। इसका मतलब है कि दोनों का एक-एक उम्मीदवार तो चुना जाना तय है लेकिन तीसरी सीट के लिए लड़ाई रोचक हो गई है। बीजेपी की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया तो कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह मैदान में हैं। एक सीट के लिए कुल 52 वोट चाहिए। मतलब दो सीट के लिए कुल 104 वोट। कांग्रेस के 21 विधायकों के इस्तीफे के बाद उसके लिए यह आंकड़ा दूर की कौड़ी है। वहीं, बीजेपी के खेमे में बीएसपी, एसपी और कुछ निर्दलीय विधायकों के नजर आने से उसका पलड़ा मजबूत हो गया है। इससे यह लगभग तय हो गया है कि बीजेपी तीन में से दो सीटें जीत सकती है।
कांग्रेस शासित राजस्थान में तीन सीटों पर चुनाव है। यहीं भी कांग्रेस और बीजेपी ने कुल चार उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसलिए यहां भी तीसरी सीट के लिए लड़ाई है। एक सीट के लिए 51 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं, ऐसे में उसकी दो सीटें लगभग तय मानी जा रही हैं। बीजेपी के पास सिर्फ 75 विधायक हैं लेकिन वह जोड़तोड़ के आधार पर दूसरी सीट पर भी दांव लगाए बैठी है। ऐसे में निर्दलीयों और कांग्रेस विधायकों में फूट बड़ा असर डाल सकती है। हालांकि, इसकी संभावना बहुत कम ही है।
बीजेपी शासित गुजरात में चार सीटों पर चुनाव हैं। बीजेपी ने तीन तो कांग्रेस ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस के कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी तीनों सीटें जीतने में कामयाब हो जाएगी। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से उसे बड़ा झटका लगा है और बीजेपी ने बाजी मार दी है।
आंध्रप्रदेश से राज्यसभा के लिए चार सीटों पर चुनाव होना है। पर्याप्त बहुमत होने के कारण सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के चारों सीटों पर जीत हासिल करने के आसार हैं। साल 2014 में राज्य के बंटवारे के बाद पहली बार यहां राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। वैसे तो यहां निर्विरोध ही चुनाव हो जाता लेकिन मुकाबले में पांच उम्मीदवारों के होने के कारण मतदान के आसार हैं। इसमें वाईएसआर कांग्रेस के चार और विपक्षी तेलगू देशम पार्टी के एक उम्मीदवार हैं। राज्य की 175 सदस्यीय विधानसभा में 151 विधायकों और टीडीपी तथा जन सेना के चार ‘बागी’ विधायकों के कारण वाईएसआर कांग्रेस आराम से चारों सीटें जीत जाएगी। आंध्रप्रदेश से राज्यसभा की सीट के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 36 वोट चाहिए। टीडीपी के पास 23 विधायकों में 20 सदस्यों का ही साथ है, ऐसे में उसके उम्मीदवार के जीतने की संभावना नहीं है।
झारखंड की दो सीटों पर तीन उम्मीदवार उतरने से यहां भी मुकाबला रोचक हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुखिया शिबू सोरने की जीत तो तय है लेकिन दूसरी सीट के लिए ना तो बीजेपी और ना ही कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या है। ऐसे में दोनों पार्टियां निर्दलीयों और छोटी पार्टियों पर डोरे डालने में लगी हुई हैं। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आजसू चीफ सुदेश महतो से भी मुलाकात की है। झारखंड में एक सीट के लिए 26 वोट चाहिए। जेएमएम के पास कुल 29 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के पास 15 विधायक ही हैं। बीजेपी के पास कुल 26 विधायक तो हैं लेकिन ढुलू महतो को जमानत नहीं मिली है और उसकी संख्या 25 पर ही अटक गई है। फिर भी यहां ज्यादा करीब बीजेपी ही दिख रही है।
कर्नाटक में चार सीटों पर चुनाव होना था लेकिन किसी भी सीट पर दूसरा प्रत्याशी ना होने से सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी के दो उम्मीदवार इरन्ना कड़ाड़ी और अशोक गश्ती चुने गए हैं। वहीं, जनता दल सेक्युलर की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा 87 साल की उम्र में राज्यसभा जाएंगे। इन तीनों के अलावा कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी कर्नाटक से ही राज्यसभा पहुंचेंगे।
अरुणाचल प्रदेश की सीट आसानी से बीजेपी के खाते में जा सकती है। वहीं, मणिपुर में हाल ही में बीजेपी सरकार के अल्पमत में आने के कारण यह तस्वीर बदल सकती है। मिजोरम की इकलौती सीट पर अब त्रिकोणीय मामले के आसार हैं। मेघालय में मेघालय डेमोक्रैटिक अलायंस की लगभग सभी पार्टियों के एकमत होने से कांग्रेस का पत्ता साफ होने के पूरे आसार हैं।
इस वक्त राज्यसभा में 224 सांसद हैं। फिलहाल 21 सांसदों की जगह खाली है, 27 जून तक कुल 27 सीटें खाली हो जाएंगी। 19 जून को 24 सीटों पर चुनाव होना है, बाकी 3 बाद में भरी जाएंगी। अभी सदन में एनडीए के पास कुल 91 सांसद हैं। गैर-एनडीए और गैर यूपीए सांसदों की संख्या 68 है। यूपीए के पास कुल 61 सांसद हैं जिनमें से कांग्रेस के 39 सदस्य हैं। 19 जून के चुनाव के बाद बीजेपी के नौ सांसद और बढ़ जाएंगे जबकि कांग्रेस के 2 घट जाएंगे। यानी बीजेपी के सांसद 75 से बढ़कर 84 हो जाएंगे और कांग्रेस 37 सांसदों पर आ जाएगी। गठबंधन के आंकड़े भी इसी तरह बदलेंगे।