ऑस्ट्रेलिया के साथ जारी तनाव के बीच चीन अब तेजी से ऑस्ट्रेलियन जलक्षेत्र पर कब्जा जमा रहा है। देश की लचर कानून का फायदा उठाते हुए चीन की सरकारी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया के एक बड़े जलक्षेत्र को खरीद लिया है। यह देश पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है। ऐसी स्थिति में अगर चीन कोई चाल चल देता है तो इस महाद्वीप में रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
चीन के पास ऑस्ट्रेलियाई जलक्षेत्र का बड़ा हिस्सा
वाटर एंटाइटेलमेंट रिपोर्ट के अनुसार चीन की सरकारी कंपनी कोफ्को कॉर्पोरेशन की यूनिबेल के पास साउथ वेल्स इलाके में 756 गीगालीटर पानी का मालिकाना हक है जो ऑस्ट्रेलिया के पानी के कारोबार का 1.9 फीसदी है। दूसरे सबसे बड़े हिस्सेदार अमेरिका के पास 713 गीगालीटर का मालिकाना हक है। जो कुल कारोबार का 1.85 फीसदी है। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के पानी का 10.5 हिस्सा विदेशी कंपनियों के कब्जे में है।
देश के सबसे उपजाऊ हिस्से में चीन ने खरीदा है पानी
चीनी कंपनी जिस हिस्से में पानी का मालिकाना हक रखती है वह कृषि और डेयरी के उत्पादन में देश में अव्वल है। ऐसी स्थिति में चीन की कोई भी चाल ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है। इस इलाके में ऑस्ट्रेलिया का 60 फीसदी अनाज उत्पादन होता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के स्वामित्व वाली कोफ्को कॉर्पोरेशन की यूनिबेल ने ऑस्ट्रेलिया के साउथ वेल्स ग्वाइडर रिवर सिस्टम की मरे डॉर्लिंग बेसिन में इस पानी को खरीदा है।
2014 में ऑस्ट्रेलिया ने विदेशी कंपनियों को दी थी अनुमति
ऑस्ट्रेलिया ने 2014 में विदेशी कंपनियों को देश के जलस्त्रोत को खरीदने की अनुमति दी थी। जिसका फायदा उठाते हुए चीनी कंपनी ने चुपके से ऑस्ट्रेलिया के इस विशेष क्षेत्र में पानी की खरीद कर ली। ऑस्ट्रेलियाई सरकार पानी की खरीद बिक्री पर ज्यादा ध्यान नही देती है। यह पानी की खरीद करने वाले विदेशी कंपनियों से इस खरीद का कारण तक नहीं पूछती है। इस कारण ऑस्ट्रेलिया के कई पर्यावरणविदों ने भी चिंता जताई है।
ऑस्ट्रेलिया और चीन में तनाव चरम पर
कोरोना वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलिया के सवालों से नाराज चीन ने आर्थिक रूप से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल में ही चीनी सरकार ने अपने नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया न जाने की सलाह जारी की थी। इतना ही नहीं चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले कई सामानों पर बैन भी लगाया है।