एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए इंटरव्यू में बेबाकी से विचार रखे हैं। इस दौरान पवार ने देवेंद्र फडणवीस के आरोप पर भी खुलकर अपनी राय जाहिर की। दरअसल फडणवीस ने कहा था कि 2014 में शरद पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की थी। पवार ने पिछले साल महाराष्ट्र में चल रही उठापटक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात में हुई बातचीत का सस्पेंस भी खत्म किया। ने महाविकास अघाड़ी सरकार के भविष्य पर भी उनकी राय जानी।
आइए जानते हैं इंटरव्यू की खास बातें…
संजय राउत- विरोधी दलों की सरकारें टिकने नहीं देना, जोड़-तोड़ करना। इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश है। इस प्रकार विपक्ष की सरकार अस्थिर करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है क्या?
शरद पवार- सीधे-सीधे हो रहा है। मैंने ऐसा देखा है जब मनमोहन सिंह की सरकार में मैं था। उस समय मोदी साहब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और कुछ राज्य भी बीजेपी के पास थे। कई बार मैंने ऐसा देखा कि मुख्यमंत्रियों की परिषद है तो उससे पहले दिन या दो-तीन दिन पहले इनकी अलग से बैठक होती थी। उनकी पार्टी या उनके सरकार के मुख्यमंत्रियों की अलग बैठक ली, यह मैं समझ सकता हूं, उस बैठक का नेतृत्व मोदी साहब करते थे। उन बैठकों में उनका भाषण इतना कठोर होता था मनमोहन सिंह के बारे में कि पूछो मत। उसके बाद मीटिंग में आते और अपने सवाल रखते थे। वो उनका अधिकार था, उस बारे में मेरा कुछ कहना नहीं लेकिन देश के प्रधानमंत्री को लेकर राज्य का एक मुख्यमंत्री वैसी निर्णायक भूमिका रखता है, यह हमने उसी समय पहली बार देखा। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
संजय राउत-
आज क्या परिस्थिति है?
शरद पवार- आज परिस्थिति उसके उलट है। कुछ राज्य उनके साथ नहीं, उन्होंने ऐसी निर्णायक भूमिका कभी नहीं ली। वे केंद्र से तालमेल बिठा रहे हैं। उल्टा मनमोहन सिंह ने कभी अपने ऊपर हो रही टिप्पणी को लेकर कभी द्वेष नहीं पाला। मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। वे हमेशा मनमोहन सिंह पर टिप्पणी करते थे लेकिन मनमोहन सिंह ने कभी उसका गुस्सा गुजरात पर नहीं निकाला। मैं कृषि विभाग का मंत्री था। मुझे हमेशा सभी राज्यों में जाना पड़ता था। कृषि उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से और मैंने गुजरात में भी उस समय बहुत यात्रा की। मोदी साहब के साथ मैं गुजरात में घूमा। वहां कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू कीं। उस समय कांग्रेस के कुछ लोगों ने हमारे मंत्रिमंडल पर टिप्पणी की कि मोदी इतना कटाक्ष करते हैं और हमारे कृषि मंत्री उनके यहां जाकर पूरी मदद करते हैं। तब मनमोहन सिंह ने मीटिंग में कहा था कि गुजरात यह इस देश का हिस्सा है। हम सभी हिंदुस्तान के सभी राज्यों के संरक्षण के लिए यहां बैठे हैं। इसलिए पवार साहब जो करते हैं, वो सही है। वह उन्हें करना चाहिए। मनमोहन सिंह की वो नीति और आज हम जो देख रहे हैं वो नीति, अलग है। इनकी सरकार गिराओ, उनकी गिराओ। अब राजस्थान की सरकार को लेकर और क्या किया जा सकता है तो करो, इसकी चर्चा है।
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संजय राउत-
लेकिन इसमें अपने राज्य का नंबर आएगा ऐसा लगता है क्या? महाराष्ट्र का?
शरद पवार- ऐसा कहते हैं, कई बार कहते हैं। यानी कुछ लोग कहते हैं उनकी पार्टी के, लेकिन उनकी जनमानस में कितनी कीमत है और वहां कितनी कीमत है, ये मुझे पता नहीं लेकिन वो कहते हैं।
संजय राउत-
ये ऑपरेशन कमल क्या है?
शरद पवार- ऑपरेशन कमल का मतलब सीधे-सीधे सत्ता का दुरुपयोग करके लोगों द्वारा बनाई गई सरकार को कमजोर करना, डिस्टेबिलाइज करना और उसके लिए केंद्र की सत्ता का पूरा-पूरा दुरुपयोग करना।
संजय राउत-
महाराष्ट्र में अक्टूबर महीने में ऑपरेशन कमल होगा, ऐसा लगातार फैलाया जा रहा है…
शरद पवार- पहले तीन महीने में कहते थे.. बाद में छह महीना हुआ। अब छह महीना होने के बाद सितंबर का वादा है। कुछ लोग अक्टूबर का कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि पांच वर्ष यह सरकार उत्तम तरीके से राज्य का कामकाज करेगी और ऑपरेशन कमल हो या और कुछ, इसका कुछ भी परिणाम उद्धव ठाकरे की सरकार पर नहीं होगा।
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संजय राउत-
देवेंद्र फडणवीस ने बीच के दिनों में दो गंभीर आरोप आप पर लगाए। वे कहते हैं यह गुप्त धमाका है। इसमें उन्होंने जो पहला आरोप लगाया कि वर्ष 2014 में आपको बीजेपी के साथ सरकार बनानी थी। शुरुआत के काल में आपने समर्थन घोषित किया, इसके बाद सरकार शिवसेना के साथ बनी ये सही, लेकिन बीच के दिनों में आप और बीजेपी के वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र में सरकार बनाने के संदर्भ में चर्चा कर रहे थे, ऐसा उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा है।
शरद पवार- उन्होंने कहा…मैंने भी पढ़ा, लेकिन मजेदार बात ये है कि वे उस समय कहां थे, यह मुझे पता नहीं। डिसिजन मेकिंग प्रॉसेस में उनका क्या स्थान था? ये मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों को पता चला। उनसे पहले विरोधी दल के जागरूक विधायक के रूप में उनका नाम था। लेकिन पूरे राज्य या देश के नेतृत्व में बैठक लेने का कभी महसूस हुआ नहीं।
संजय राउत-
वे कहते हैं उसके अनुसार उस काल में एक बार मैंने कॉन्शियसली स्टेटमेंट दिया वो यह कि शिवसेना और बीजेपी की सरकार न बने…ऐसा किसलिए किया?
शरद पवार- मेरी पहले से ही दिली इच्छा थी कि शिवसेना को बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहिए। जब ऐसा लगा कि वे जाएंगे तो मैंने जान-बूझकर स्टेटमेंट दिया कि हम आपको अर्थात बाहर से समर्थन देते हैं। उद्देश्य यह था कि शिवसेना उनसे अलग हो जाए। ये हुआ नहीं…उन्होंने सरकार बनाई और चलाई…इस पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन हमारा यह सतत प्रयास रहा कि बीजेपी के हाथ में सत्ता चलाने देना शिवसेना के हित में नहीं है। क्यों? दिल्ली की सत्ता उनके हाथ में… राज्य की सत्ता अर्थात मुख्यमंत्री उनके हाथ में। इसके कारण शिवसेना अथवा अन्य पार्टियों को लोकतंत्र में उनकी पार्टी का काम करने का अधिकार है, असल में उन्हें यही मंजूर नहीं है। और इसलिए आज नहीं तो कल वे निश्चित रूप से सभी को धोखा देंगे। और इसीलिए ये हमारा राजनीतिक कदम था।
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संजय राउत-
अच्छा… मतलब फडणवीस जो कहते हैं वो आपको मंजूर नहीं है…
शरद पवार- बिलकुल मंजूर नहीं है। लेकिन उनमें और शिवसेना में ये दूरी बढ़े, इसके लिए हमने जान-बूझकर ये कदम बढ़ाए, ये मैं कबूल करता हूं। ये दूरी तो अब बढ़ गई है…
संजय राउत-
दूसरा आरोप उन्होंने ऐसा लगाया है कि वर्ष 2019 की जो तीन पार्टियों की सरकार अब बनाई गई है, उस सरकार की स्थापना के दौरान भी एनसीपी के सर्वेसर्वा ऐसा उन्होंने उल्लेख किया, वही बीजेपी के साथ सरकार बनाने के संदर्भ में अंतिम चरण में चर्चा करते रहे और बाद में पवार साहब ने यू-टर्न ले लिया। अचानक।
शरद पवार- नहीं। ये सही नहीं है। सीधी सी बात है कि शिवसेना को हमें साथ में लेना नहीं है। आप साथ आकर हमें स्थिर सरकार बनाने में साथ दें, ऐसा बीजेपी के कुछ नेता हमारे लोगों से कह रहे थे। हमारे कुछ सहयोगियों से और मुझसे भी एक-दो बार बोले। बोले नहीं, ये सच नहीं है। वे बोले थे… एक बार नहीं… दो बार नहीं… तीन बार बोले… और इसमें उनकी ऐसी अपेक्षा थी कि प्राइम मिनिस्टर के और मेरे संबंध अच्छे हैं और इसलिए प्राइम मिनिस्टर इसमें हस्तक्षेप करें और मैं उसे मंजूरी दे दूं। इसीलिए ये संदेश मेरे कानों तक भी पहुंचा था। और उस समय ये संदेश आने के बाद देश के प्रधानमंत्री हैं, प्रधानमंत्री तक अपने बारे में और अपनी पार्टी के बारे में गलत जानकारी न जाए। इसलिए मैंने खुद पार्लियामेंट में उनके चैंबर में जाकर उनसे कहा था कि हम आपके साथ नहीं आएंगे। संभव हुआ तो हम शिवसेना के साथ सरकार बनाएंगे अथवा विपक्ष में बैठेंगे। परंतु हम आपके साथ नहीं आ सकते। और जब मैं यह कहने जा रहा था तब एक गृहस्थ पार्लियामेंट में मेरे बगल में थे। उनका नाम संजय राउत है। उन्हें मैं कहकर गया कि मैं ऐसा उनसे (प्रधानमंत्री) कहने जा रहा हूं। मैं वापस लौटा तब राउत वहीं थे। उन्हें भी मैंने प्रधानमंत्री के साथ हुई चर्चा की जानकारी दी।
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संजय राउत-
कांग्रेस के जो नेता राज्य मंत्रिमंडल में हैं, उनकी ऐसी पहली शिकायत है कि समन्वय का अभाव है। उनकी दूसरी शिकायत ये है कि सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को ज्यादा महत्व मिल रहा है…
शरद पवार- एक बात सही है कि उद्धव ठाकरे के काम करने की जो शैली है, जो मैं देखता हूं। हम सभी से अलग है। इसकी वजह ये है कि उद्धव ठाकरे के काम करने की शैली शिवसेना के काम करने की शैली है। शिवसेना में मैं कई वर्षों से देख रहा हूं, ठीक शिवसेना की स्थापना के समय से। आदेश आता है और आदेश आने के बाद चर्चा भी नहीं होती। कांग्रेस अथवा एनसीपी में जिस विचार से बढ़े हैं, हम वरिष्ठों के मतों का सम्मान करते हैं लेकिन वरिष्ठों का आदेश आता ही है, ऐसा नहीं है। और समझो एकाध मत व्यक्त किए जाने के बाद हम उस पर चर्चा कर सकते हैं। यह हमारे काम करने की शैली है। शिवसेना में एक बार नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने के बाद उस मार्ग से हमें जाना है और उसका पालन करना है। यह शैली एकदम छोटे-बड़े सभी में है। इस विचार से वह पार्टी चली और सफल भी हुई। फिलहाल मुख्यमंत्री उसी विचारधारा वाले हैं और काम की शैली वही है। इसमें मेरी कोई शिकायत ही नहीं है।
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संजय राउत-
फिर आपको कोई परेशानी दिखती है क्या?
शरद पवार- परेशानी बिलकुल भी नहीं। सरकार अघाड़ी की है। शिवसेना के साथ हम दोनों लोग हैं। हमारे काम की शैली यह नहीं है और वर्तमान जो सरकार है, वह अकेले की ही नहीं है। ये तीनों की है और इन तीनों में दोनों के कुछ मत होंगे तो मत जानने के संबंध में भी यह जरूरी है और इसलिए हम लोगों का एक सुझाव होता है, अनुरोध होता है कि आप बातचीत जारी रखें। संसदीय लोकतंत्र में बातचीत जारी रहनी चाहिए। वह बातचीत जारी रही तो ऐसी चर्चा भी नहीं होगी क्योंकि ठाकरे के काम की शैली हमें कुछ खराब नहीं दिखती, सिर्फ बातचीत नजर नहीं आती। संवाद चाहिए।
संजय राउत-
ठाकरे सरकार का भविष्य क्या है?
शरद पवार- भविष्य यही है कि यह सरकार 5 साल अच्छे से चलेगी। इस बारे में कोई शंका नहीं है और हमने इसी प्रकार संभाल लिया तो हम अगला चुनाव भी एक साथ लड़ेंगे।